देहरादून, उत्तराखंड की सबसे बड़ी धार्मिक यात्रा चार धाम यात्रा है और चार धाम यात्रा का आगाज बसंत पंचमी के दिन नरेंद्रनगर स्थित राज महल से सदियों से होता चला आ रहा है।
सर्द ऋतु के बाद बसंत का आगमन पहाड़ में नई ऊर्जा और नए रंग लेकर आता है बर्फ से लगदग हुए पहाड़ों पर बसंत ऋतु में आगमन शुरू हो जाता है ,ऐसे में बसंत पंचमी के दिन नरेंद्र नगर राजमहल में राजपुरोहित महाराजा मंजुजेंद्र शाह की जन्मपत्री देख कर बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि तय करते है । राजपुरोहित कृष्ण प्रसाद उनियाल ने बताया कि महाराज की लगंन पत्रिका देखकर शुभ मुहर्त निकालते है जिसकी घोषणा बोलन्दा बद्रीश महाराजा द्वारा होती है, जिसे राज्य परिवार सदियों से निभाता चला आ रहा है और आगे भी यह परंपरा जारी रहेगी।
नरेंद्र नगर राज महल में बद्रीनाथ कपाट खोलने की तिथि महाराजा मनुजेंद्र शाह ने घोषित करी, ब्रह्म मुहूर्त में 30 अप्रैल 4:30 बजे खुलेंगे बद्रीनाथ धाम के कपाट खोले जायेंगे।
वही बसंत पंचमी के दिन कपाट खुलने की तिथि के साथ-साथ गाडु घड़ी परंपरा की भी तिथि घोषित की जाती है, जो शीत निंद्रा से उठने के बाद मानव पूजा के साथ कपाट खुलते समय सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। नरेंद्र राज महल में महारानी माला राजलक्ष्मी टिहरी राजपरिवा की अगुवाई में तिल का तेल निकाला जाता है, जिसे डिमर गांव के पुजारी कपाट खुलने के साथ बद्री विशाल के अभिषेक में इस्तेमाल करते हैं।
उत्तराखंड में बसंत पंचमी अपने साथ चार धाम यात्रा की तैयारियों की शुरुआत भी कर जाती है कपाट खोलने की घोषणा के बाद तैयारियों में जुट जाता है।