देहरादून। सांसद निधि का धन खर्च करने में उत्तराखंड के सांसदों में पूर्व मुख्यमंत्री भगतसिंह कोश्यारी सबसे आगे हैं। आंकड़ों की माने तो नैनीताल सांसद भगत सिंह कोश्यारी की 20 करोड़ की निधि में से केवल 1.66 करोड़ ही शेष बची है। दूसरे नंबर पर हरिद्वार सांसद रमेश पोखरियाल निशंक हैं जिनकी 17.5 की सांसद निधि में से केवल 71 लाख शेष बचे हैं। बाकी वे अपने क्षेत्र में खर्च कर चुके हैं।
उत्तराखंड में 5 लोकसभा सीटों पर पौड़ी लोकसभा सीट से सांसद भुवन चंद्र खंडूडी ने अब तक सबसे कम व्यय किया है। पूर्व मुख्यमंत्री एवं सांसद भुवन चंद्र खंडूडी की 12.5 करोड़ की निधि में से 5.46 करोड़ की सांसद निधि अभी तक व्यय नहीं हो पाई है। इसका कारण संभवतः उनकी अस्वस्थता भी है। अल्मोड़ा से सांसद अजय टम्टा की 4.14 करोड़ की सांसद निधि पेंडिग है। इसके बाद तीसरे नंबर पर टिहरी लोकसभा सीट से सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह ने अपने सासंद निधि में से 3.3 करोड़ खर्च नहीं किये हैं।
इस मामले में राज्यसभा के नये नवेले सांसद अनिल बलूनी ने एक नई उदाहरण प्रस्तुत किया है। जहां विकास के रह मामलों में आगे रहते हैं। सांसद निधि खर्च करने में भी वह औरों से आगे है। अनिल बलूनी अभी तक एक जारी किश्त को खर्च कर चुके हैं। वहीं 2018-19 में रिलीज हुए 2.5 करोड़ धनराशि को अनिल बलूनी अपने क्षेत्र में विकास योजनाओं में लगा चुके हैं। कांग्रेस जो भाजपा सांसदों पर लगातार आरोप लगाती है तथा सांसद निधि खर्च न करने की बात कहती है इस मामले में उनके सांसद महाकंजूस है। राज्यसभा कांग्रेस सांसद प्रदीप टम्टा और राज बब्बर की सांसद निधि से अब तक लगभग आधा ही खर्च कर पाये हैं जो इस बात का संकेत है कि उन्हें विकास के कामों में रूचि नहीं है। केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही योजना के अंतर्गत सभी लोकसभा और राज्यसभा सांसदों को अपने निर्वाचित क्षेत्र में विकास कार्य करवाने के लिए हर साल केंद्र सरकार द्वारा 5 करोड़ रुपये का फंड दिया जाता है।
योजनाओं की राशि सांसद के खाते में नहीं बल्कि सम्बंधित जिले के जिला अधिकारी, उप जिलाधिकारी, नोडल अधिकारी के खाते में 2.5 करोड़ रुपये की दो किस्तों (वित्त वर्ष के शुरू होने के पहले) में भेजी जाती है। इसके बाद क्षेत्र के सांसद जिलाधिकारी को बताते हैं कि उसे जिले में कहां-कहां इस धनराशि को विकास कार्य में खर्च करना है।