भराड़ीसैंण: 45 साल में विदेशी पशु प्रजनन केंद्र से समर कैपिटल तक

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चमोली जिले के गैरसैंण और आदिबदरी तहसील का मध्य क्षेत्र भराड़ीसैंण अब प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी के नाम से जाना जा रहा है। लेकिन क्षेत्र की ईष्ट देवी मां भराड़ी के इस क्षेत्र में करीब साढ़े चार दशक पूर्व विदेशी पशु प्रजनन केंद्र स्थापना हुई, जिसके बाद इस देवी भराड़ी के क्षेत्र ने विधानसभा भवन, अफसर और एमएलए हॉस्टल सहित समर कैपिटल तक का सफर तय कर लिया है। हालांकि उत्तराखंड की राज्य आंदोलनकारी ताकतें समर नहीं बल्कि स्थायी राजधानी की मांग कर रही हैं।
सत्तर के दशक में कर्णप्रयाग विधानसभा के विधायक रहे स्वर्गीय डॉ. शिवानंद नौटियाल के करीबी रहे भुवन नौटियाल बताते हैं कि भराड़ीसैंण को पर्यटन और पशुपालन की दृष्टि से महत्वपूर्ण देखते हुए यहां वर्ष 1974 में विदेशी पशु प्रजनन केंद्र की स्थापना की गई थी। इसका उद्देश्य था कि बेहतर और विदेशी प्रजाति के बछड़े पैदा कर ग्रामीण क्षेत्रों की पशुपालन की नश्ल सुधारी जा सके और लोग पशुपालन के क्षेत्र में आर्थिक संपन्न हो सकें। लेकिन सरकारों की उदासीनता और अव्यवस्थाओं के चलते विदेशी पशु प्रजनन केंद्र अपने उद्देश्य से भटक गया। हालात यह रहे कि अब पशु प्रजनन केंद्र केवल दूध की सप्लाई तक सिमट गया। लेकिन वर्ष 2012 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार  गैरसैंण की ओर चल पड़ी जो अब भाजपा के नेतृत्व में समर कैपिटल तक पहुंच गई है।
दो राजधानियां प्रदेश के हित में नहीं: राज्य आंदोलनकारी इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि दो राजधानियां प्रदेश के हित में नहीं है। दो राजधानियों की नीति अंग्रेजों की थी। 13 जिलों के इस छोटे से प्रदेश में जहां बेरोजगार, महंगाई, गरीबी, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और पेयजल जैसी समस्याएं हों वहां दो राजधानी केवल धन की बर्बादी है। इंद्रेश मैखुरी के साथ ही यूकेडी के अर्जुन सिंह रावत ने भी गैरसैंण को स्थायी राजधानी घोषित करने की मांग की है।