बागेश्वर, आज हम आपके साथ एक ऐसे युवा कलाकार भास्कर भौर्याल की कहानी साझा करते हैं जो उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के नकुरी गाँव से संबंध रखते हैं।
चार बहनों में सबसे छोटे, भास्कर का जन्म साल 2000 में जानकी देवी और खुशाल सिंह के घर हुआ। इस युवा को जन्म से ही मानों कागज़ पर रंग डालने की स्वाभाविक कला के बारे में पता था ।
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आजकल भास्कर अपनी कला के कौशल को और अधिक बेहतर बनाने के लिए अल्मोड़ा से फाईन आर्ट की पढ़ाई कर रहे है। भास्कर ने अपनी शुरुआती स्कूली शिक्षा अपने गाँव नकुरी से पूरी की और फिर कक्षा छह में नवोदय विद्यालय में चले गए, जहाँ कला के प्रति प्रेम रखने वाले इस युवा कलाकार को उनके स्कूल के शिक्षकों से बेहतर मार्गदर्शन मिला।
माता-पिता और शिक्षकों ने भास्कर को प्रोत्साहित किया, आज भास्कर हर रोज 8-10 घंटे के करीब बिताता है और कई बार आधी रात को अपने रंगों औऱ ब्रश के साथ अपनी प्रेरणा को जीवंत करता है।
अपने बारे में हमें और बताते हुए, भास्कर ने कहा, “मेरी माँ मेरी प्रेरणा का निरंतर स्रोत रही हैं। मैं हमेशा अपनी संस्कृति, आभूषण, पोशाक की छोटी-छोटी बारीकियों की तरफ आकर्षित होता हूं और अगर आप मेरी पेंटिंग देखेंगे तो यही छोटी-छोटी चीजें मेरी पेंटिंग में एक प्रमुख हिस्सा है। ”
उनकी अलग-अलग पेंटिंग कुमाऊं की कला, संस्कृति और परंपरा के साथ उत्तराखंड की महिला लोक को श्रद्धांजलि हैं। यहां तक कि भास्कर की पेंटिंगों की एक झलक में कामकाजी महिलाओं, माँ और बच्चे, दादी, भाई-बहनों, कलाकारों के आभूषण, पोशाक और पृष्ठभूमि के चित्र आपको कुमाऊँ तक ले जाते हैं।
अपनी प्रतिभा को सीमित नहीं करने के लिए, भास्कर ने मशहूर हस्तियों को ऑयल पेंट्स के साथ-साथ पेंसिल स्केच में भी अपना हाथ आजमाया है, हालांकि उन्हें व्यक्तिगत रूप से लगता है कि वॉटर कलर्स उनकी पेंटिंगस को और अधिक बेहतरीन बनाने में मदद करते हैं।
आज भास्कर भौर्याल अपने आप में एक अद्भूत कलाकार है जो अपनी मेहनत से सभी का रुख अपनी कला और उसकी प्रेरणा, यानि की कुमांऊ की तरफ खींच रहे हैं।