देहरादून, शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक के गृह जनपद हरिद्वार की रुड़की नगर निगम के चुनाव के लिए मैदान सज गया है। लंबे समय से कानूनी पचडे़ में फंसे रुड़की नगर निगम के चुनाव में भाजपा और कांग्रेस की साख दांव पर होगी।
2018 के नगर निकाय में हरिद्वार नगर निगम में भाजपा को अप्रत्याशित ढंग से कांग्रेस ने हरा दिया था। अब भाजपा की पूरी कोशिश इस हार का बदला लेने की है। दूसरी तरफ, कांग्रेस है, जो चाहेगी कि हरिद्वार जिले के इस दूसरे नगर निगम में भी वह बाजी मार ले।
भाजपा कांग्रेस की राजनीति के बीच रुड़की नगर निगम का चुनाव अभी तक फंसा हुआ था। यही कारण है कि 2018 में जहां प्रदेश के 84 निकायों में जहां चुनाव हुआ, वहीं रुड़की का नंबर नहीं आ पाया। दरअसल कांग्रेस के जमाने में हरीश रावत ने इस नगर निगम का क्षेत्रफल बढ़ाते हुए इसमें पाटली गुर्जर और रामपुर ग्राम पंचायतों को जोड़ लिया था। भाजपा की सरकार आई तो उसने इन दोनों गांवों को बाहर का रास्ता दिखा दिया। इसके लिए उसे नगर निगम एक्ट में तक संशोधन करना पड़ा था, क्योंकि पहले जो व्यवस्था थी उसमें नगर निगम में नए क्षेत्र तो शामिल किए जा सकते थे, लेकिन उन्हें बाहर नहीं किया जा सकता था।
इन दो ग्राम पंचायतों में अपने वोट बैंक को दोनों ही दल अपने अपने हिसाब से तौलते रहे हैं। ये ही वजह है कि इन्हें अंदर-बाहर करने की लड़ाई हाईकोर्ट से होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंची। सुप्रीम कोर्ट से फाइनल निर्णय आने के बाद ये किए गए परिसीमन में दोनों ग्राम पंचायतें अब नगर निगम का हिस्सा नहीं हैं। राज्य निर्वाचन आयोग ने इस चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू कर दी है। 22 नवंबर को मतदान तय किया गया है। उत्तराखंड में आठ नगर निगम है, जिनमें से पांच पर भाजपा का कब्जा है। हरिद्वार और कोटद्वार नगर निगम कांग्रेस के कब्जे में है। हरिद्वार जिले में हरिद्वार और रुड़की दो नगर निगम हैं।