एक महीने से चली आ रही भाजपा की परिवर्तन यात्रा का गढ़वाल में भी समापन हो गया। प्रदेशभर में 5 हज़ार किलोमीटर का सफ़र तय करने के बाद बीजेपी की परिवर्तन यात्रा का समापन सोमवार को देहरादून में हो गया। करीब एक महीने तक बीजेपी की परिवर्तन यात्रा प्रदेश की सभी 70 विधानसभाओं में घूमी और बीजेपी के पक्ष और राज्य सरकार के खिलाफ वातावरण तैयार करने कई केंद्रीय मंत्री भी उत्तराखंड पहुंचे।
सूबे की सत्ता की दौड़ में दौड़ रही बीजेपी की परिवर्तन यात्रा क्या रंग लाएगी ये तो वक्त ही बताएगा, लेकिन 18 मार्च के घटनाक्रम के बाद सुस्त पड़े बीजेपी कार्यकर्ताओं में यात्रा ने जान फूंकने का काम तो किया ही है।पूरी यात्रा के दौरान जहां पार्टी ने एकजुटता दिखाने की कोशिश की और खंडूड़ी, कोश्यारी व निशंक को यात्रा के साथ ही रखा तो वहीँ प्रादेशिक स्तर पर कोई चेहरा प्रोजेक्ट नहीं किया।
भाजपा नेताओं का कहना है कि अगर केंद्र की तर्ज पर राज्य में बीजेपी सत्तारूढ़ होती है तो विकास की गंगा बहेगी। परिवर्तन यात्रा के समापन में पहुंचे केंद्रीय रक्षा मंत्री ने जहां सर्जिकल स्ट्राइक व वन रैंक व वन पेंशन के मुद्दे पर जनता को रिझाने का प्रयास किया तो वहीँ रावत सरकार पर भी हमला किया। ये ही नहीं सभी केंद्रीय मंत्रियों के टारगेट पर सीएम हरीश रावत रहे। खनन, शराब, हॉर्स ट्रेडिंग, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर बीजेपी नेताओं ने रावत सरकार को जमकर घेरा।
2012 में बीजेपी एक सीट से उत्तराखंड की सत्ता की बाज़ी गंवा बैठी, लेकिन अब पार्टी कोई जोखिम मोल लेना चाहती है. ख़ासतौर से तब जब 18 मार्च के सियासी संकट के बाद पार्टी आला कमान के लिए उत्तराखंड की सत्ता और भी जरुरी हो गई है।
केंद्रीय स्वस्थ्य मंत्री व प्रदेश बीजेपी के चुनाव प्रभारी जे पी नड्डा भी रावत सरकार के खिलाफ जमकर मोर्चा खोला। उन्होंने कहा की ये महज सत्ता का नहीं बल्कि राजनीति की संस्कृति का परिवर्तन है। अपने सबोधन में जेपी नड्डा ने भी बिना नाम लिए सीएम हरीश रावत के स्टिंग का जिक्र करते हुए उन पर वार किया। उन्होंने कहा कि कंग्रेस की संस्कृति कमीशन की है और बीजेपी की मिशन की। बीजेपी को पूरा यकीन है कि परिवर्तन यात्रा राज्य सरकार के खिलाफ माहौल बनाने में सफल रही है। हालांकि पूरी यात्रा में इस बार किसी चेहरे को आगे करने की बजाय सामूहिक नेतृत्व को ही तरजीह दी।
अब राज्य भाजपा संगठन को उम्मीद है कि इस यात्रा के ज़रिये वो राज्य की जनता में पार्टी के प्रति विश्वास जगाने में कामयाब होंगे औऱ ये विश्वास चुनावों में वोट में भी बदलेगा।