किताबों के घोटाले की जांच करेगा चतुर्थश्रेणी कर्मचारी

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18 लाख की किताबें महाविघालय में किसके आदेश से आयी और बिना टेंडर किताबें आखिर किससे मंगवायी एसे कई सवालों के जवाब मांग रहे छात्रों को प्राचार्य से कोई जवाब नहीं मिला लिहाजा छात्रों ने जहां आंदोलन की चेतावनी दे दी है वहीं प्राचार्य अब इस मामले की जांच के लिए अपने ही अधिनिस्तों से अपनी जांच करा कर खुद सवालों के घेरे में आ गये हैं, जबकि खुद महाविघालय के पूर्व लाईबेरियन एक लिखित पत्र में पुरी पोल खोल कर रख दी है।

18 लाख की किताबों का शोर काशीपुर के राधे हरी महाविघालय के कोने कोने में गूंज रहा है, सभी जानते हैं कि दाल में काला है, छात्रों ने पुस्तकालय के लिए खरीदी गयी पुस्तकों का ब्योरा क्या मांगा कि प्राचार्य लिपापोती पर जुट गये, जहां खरीद के लिए टेंडर के फर्जी कागज तैयार किये गये तो दुसरी ओर एक ही किताब दो दुकानों से खरीदना दिखाया गया, यही नहीं करीब 1200 सौ किताबों के प्रिंट रेट पर काली स्याही लगाकर अधिक मूल्य दर्शाया गया है। जांच टीम को सिर्फ 3215 किताबों की सूची उपलब्ध कराई गई, जबकि भुगतान बिल, टेंडर प्रक्रिया के दस्तावेज नहीं दिए गए। जांच टीम को बुकसेलर के नौ बिल दिए गए हैं, मगर यह सब हाथ से बने हैं। बिल में जीएसटी शामिल नहीं है। चोरी से सोमवार देर शाम महाविद्यालय में 1751 और किताबें मंगाई गई हैं। इससे साफ होता है कि घोटाला हुआ है। उन्होंने इन किताबों को पुस्तकालय से उठवा कर दूसरे कमरे में रखवा दी। वहीं लाईबेरियन ने सीधे तौर पर आरोप लगाया कि बिना उनकी अनुमति के पुस्तकें मंगवायी गयी है जिसकी उनको जानकारी तक नहीं है, यही नहीं राज खुलने के डर से पुस्तकालय अध्यक्ष के पद से भी हटा दिया गया है।
वहीं घोटाले के आरोपी प्राचार्य ने पहले किताबों के घोटाले के लिए जो जांच कमेठी बनाई थी उस रिपोर्ट को दर किनार करते हुे दुसरी जांच कमेठी तैयार की है जिसमे संविदा कर्मी और एक फोर्थ क्लास को जांच कमेठी मे रखा गया है, खुद की ही जांच करा रहे प्राचार्य अपने मातहतों से जांच की बात कहकर घोटाले को दबाने की जुगत में लगे हैं।
18 लाख की किताबों के घोटाले की जांच आरोपी प्राचार्य खुद ही करा रहे हैं, यही नहीं अपने अधिनिस्तों से अपनी जांच करार घोटाले को दबाने की कोशिश में लगे हुए हैं, जबकि किताबों की खरीद के ना तो पक्के बिल ही है और ना ही कोी टेंडर प्रक्रिया ही कि गयी, किसके इशारे पर लाखों की किताबे खरीदी गयी इसको लेकर छात्र उच्च स्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं।