बड़े खतरे का सबब बन सकता है स्वारी गाड बैली ब्रिज

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जिले में स्थित गंगोत्री हाई-वे पर स्वारी गाड का अस्थायी बैली ब्रिज जर्जर हो चुका है। इससे कभी भी हादसा हो सकता है। गंगोत्री व उपला टकनोर का संपर्क कट सकता है। इसको लेकर क्षेत्रवासियों ने चिंता जाहिर की है और प्रशासन का ध्यान खींचते हुए इसे तुरंत ठीक कराने की मांग की है।

उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से गंगोत्री की ओर 40 किलोमीटर की दूरी पर स्वारी गाड है। इस स्थान पर पहले उपला टकनौर के साथ गंगोत्री धाम व भारत-चीन बॉर्डर को जोड़ने के लिए पक्का मोटर पुल था। 2012 में स्वारी गाड में आए उफान में पुल बह गया। इसके बाद यहां बैली ब्रिज बनाया गया। अस्थायी तौर पर बनाए इस बैली ब्रिज की हालत वर्ष 2014 में ही जर्जर हो चुकी थी। मौजूदा समय में पुल के दोनों हिस्सों में धंसाव के साथ ही पुल के ऊपर बिछाया गया लोहा भी उखड़ गया है। पुल से हर दिन 500 से अधिक वाहन आवाजाही कर रहे हैं। इस पुल में कभी भी हादसा हो सकता है तथा गंगोत्री व उपला टकनोर का आपसी संपर्क भी कट सकता है।
हालांकि, बीआरओ ने इस बैली ब्रिज के स्थान पर दूसरा पुल बनाने का प्रस्ताव तैयार किया था। लेकिन, 2016 में ऑल वेदर रोड की घोषणा होते ही पुल के पुराने प्रस्ताव पर ब्रेक लग गया। अब इस स्थान पर ऑल वेदर रोड के हिसाब से ही पुल बनना है। लेकिन धरासू से गंगोत्री तक होने वाले ऑल वेदर रोड के कार्य के लिए अभी एनजीटी से स्वीकृति नहीं मिली है। यह मामला अभी एनजीटी में ही लटका है।
बीआरओ के कमांडर एससी लूनिया ने बताया कि अभी एनजीटी ने धरासू से लेकर गंगोत्री तक के ऑल वेदर रोड के निर्माण पर रोक लगाई है। स्वारी गाड में नए पुल के लिए ऑल वेदर रोड के हिसाब से सर्वे से लेकर सभी चीज पूरी हैं। अगर एनजीटी से स्वीकृति मिल जाती है तो पुल निर्माण शुरू हो जाएगा।
इसके साथ ही बीते पांच सालों में भारी बारिश से उफान पर आए नालों और गदेरों के चलते हाईवे के कई पुलों पर भी खतरा मंडरा रहा है। नदी नालों में मलबे से जलस्तर ऊंचा होने से झाला पुल, बढ़ेथी चुंगी मोटर पुल, गंगोरी बैली ब्रिज, पपड़गाड मोटर पुल पर भी खतरा मंडरा रहा है।