प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने बजट को उत्तराखण्ड के साथ छलावा बताया है। उन्होंने कहा कि डबल इंजन एवं प्रचंड बहुमत वाली सरकार ने उत्तराखण्ड के साथ सौतेला व्यवहार कर मायूस किया है। बजट पूरी तरह से हवा-हवाई है।
सिंह ने कहा बजट पूरी तरह से निराशाजनक और खोखला है। राज्य को बजट को लेकर सरकार से बड़ी उम्मीदें थीं। ग्रीन बोनस की दरकार थी। इसके लिए यह मुफीद समय था। उत्तराखण्ड का यह सपना पूरा हो सकता था। उत्तराखण्ड की झोली एक बार फिर खाली ही रह गई।
उन्होंने कहा कि बजट में सुरसा की तरह बढ़ रही महंगाई पर सरकार की सोच सही नहीं है। बेरोजगार युवाओं के लिए कोई चिन्ता या प्रावधान बजट में नहीं है। उत्तराखण्ड की कई रेल परियोजनाओं और मेट्रो रेल पर कोई बात नहीं की गई है। एमएसएमई सेक्टर के लिए भी कोई राहत मिलती नही दिखाई दी।
प्रीतम सिंह ने कहा कि उत्तराखण्ड पयर्टन प्रधान प्रदेश है। ऐसे में कोरोना संकट से जूझ रहे उत्तराखण्ड के पयर्टन सेक्टर को बूस्ट करने के लिए बड़े पैकेज की दरकार थी। वहां भी निराशा ही हाथ लगी। पहले ही जीएसटी से हो रहे 2,200 करोड़ रुपये के नुकसान को उत्तराखण्ड झेल रहा था। वहीं कोरोना काल में 4,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो गया। वित्तीय संकट से जूझ रहे प्रदेश को केन्द्रीय बजट से बहुत सारी अपेक्षायें थीं जो चूर-चूर हो गईं।
उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र के अन्तर्गत किसानों की आय दोगुनी करने के वादे का विजन नहीं दिखा। अलग-अलग अनाज पर एमएसपी के आंकड़े रखे गये लेकिन सवाल यह उठता है जो सरकार धान और गेहूं तक का भी न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं दे पा रही। गांवों की आधारभूत संरचना के लिए 40 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। यह देश के 6.50 लाख गांवों के लिए ऊंट के मुंह में जीरा साबित होगा। मिडिल क्लास के लिए एक बार फिर यह बजट उदासीन करने वाला ही रहा। इनकम टैक्स के स्लैब में कोई बदलाव न करके राहत की गुंजाइश को समाप्त कर दिया गया। बार-बार आत्मनिर्भर भारत की बात दोहराई गई लेकिन भारत आत्मनिर्भर बनेगा ,इस यक्ष प्रश्न का जवाब पूरे बजट में नहीं मिला।