उत्तराखंड का प्रमुख चिकित्सालय श्री गुरूराम राय मेडिकल कॉलेज पर एक मरीज को गलत दवा देकर मौत के घाट उतारने का आरोप है। यह आरोप महिला श्रीमती स्व.कृष्णा वर्मा के पति एस.के.वर्मा ने लगाया है। खुड़बुड़ा निवासी एस.के.वर्मा ने इस मामले को प्रधानमंत्री कार्यालय तक भेजा है। प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से अनुभाग अधिकारी कुमार शैलेन्द्र ने 5 मई को प्रदेश के मुख्य सचिव को भेजे पत्र में कहा है कि 28 अप्रैल को एस.के.वर्मा की तरफ से एक पत्र मिला है जिस पर उचित कार्यवाही आवश्यक है। उन्होंने इस पत्र की प्रतिलिपि एस.के. वर्मा 9 खुड़बुड़ा मौहल्ला देहरादून को भी भेजा है। यह पत्र पीएमओपीजी/डी/2017/0206430 के माध्यम से भेजा गया है।
इस मामले की जांच स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कर रहे हैं। अब तक उन्होंने पी.एम.ओ. को जवाब नहीं भेजा है,जबकि इस मामले की गूंज राज्यपाल प्रमुख सचिव उत्तराखंड समेत सभी अधिकारियों से की गई है। वर्मा ने गुरूराम राय मेडिकल कॉलेज पर और कई गंभीर आरोप लगाए हैं और बताया है कि उनकी पत्नी श्रीमती कृष्णा वर्मा को श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में 23 मार्च को गयानोकॉलोजी विभाग में यूरिन व स्टूल की रूकावट की समस्या के कारण भर्ती कराया गया था। मेरा पुत्र राजीव वर्मा डा. लाल की बल्ड 21 मार्च को रिपोर्ट लेकर 23 मार्च को पीजीआई चण्डीगढ़ ले गया था। जहां के डा. आदित्य द्वारा आगे इलाज के लिए सलाह दी गई थी। इसके पूर्व 3 वर्ष से पीजीआई में इलाज चल रहा था। सुबह एच.ओ.डी. मेडिकल राउंड चिकित्सक विजिट पर आए तथा मरीज को वार्ड 5 के जनरल बेड पर ग्यानकोलोजिस्ट विभाग से शिफ्ट करवाया गया। पीजीआई के चिकित्सक के रिपोर्ट के अनुसार 1 यूनिट बल्ड बैंक अस्पताल से चढ़ाया गया तथा 24 मार्च को भी एक और यूनिट चढ़ा दिया गया। 25 मार्च को बल्ड प्लेटलेट्स को मांग कर रखे गए। पी.जी.आई. चंडीगढ़ के अनुसार अधिल ब्लड और प्लेटलेट्स नहीं दिए जाने थे। रात्रि 11 बजे ब्लड ट्रांसफ्यूजन रोक दिया गया। रात्रि 8:30 बजे नई बल्ड केंसर से सम्बंधित दवाई बी-नॉट 400 एमजी (इमटना ए.बी.),हाइप्रा 500 एमजी की की जगह दी गई,जबकि पीजीआई के डा. आदित्य ने मरीज की शारीरिक स्थिति के अनुसार हाईपावर मेडिसन नहीं दी जानी थी संभव है कि यह दवा भी उनकी मृत्यु के कारण हो सकती है। रात्रि की दवा के बाद ही मरीज की हालत बिगड़ी। उन्होंने तीन दिनों में लगभग 60 हजार रूपए व्यय किया गया। इन्दिरेश हॉस्पिटल के 3 चिकित्सक जो मरीज को 23 से 26 तारीख तक देख रहे थे। पी.जी.आई.अस्पताल की फाइल को ले गए और उससे समझते रहे, लेकिन इलाज अपने ही तरीके से किया। 4 दिन रात लगातार वहां रहा और सभी कुछ मेरे सामने हुआ। उन्होंने बताया कि अस्पताल के चिकित्सकों की मनमानी व लापरवाही तथा बीमारी को सही तरीके से न समझ पाने के कारण इनका इलाज सफल नहीं हो पाया और उनका देहांत हो गया।
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने दिया गोलमोल जवाब
इस संदर्भ में श्री गुरूराम राय मेडिकल कॉलेज के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. वी.के. विहारी से बातचीत की गई। डा. विहारी बड़ी मुश्किल से फोन पर आए और गोलमोल जवाब दिया। उनका कहना था कि हम इस प्रकरण की अन्तरिक जांच करा रहे हैं,जो परिणाम होगा उसे प्रधानमंत्री कार्यालय को भेज दिया जाएगा। यह पूछे जाने पर कि इस मामले में लापरवाही हुई है उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। मेडिकल कॉलेज द्वारा बताया गया कि डा.वी.के. विहारी नहीं हैं। उनके स्थान पर विनय राय या डा. गर्ग से संपर्क किया जा सकता है। मेडिकल कॉलेज के पीआरओ भूपेन्द्र रतूड़ी से पूछा गया तो कहीं जाकर डा. विहारी से बात हुई,लेकिन उनका जवाब भी गोलमोल रहा।