उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत के खिलाफ सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर लिया है। 2016 में सामने आए एक स्टिंग ऑपरेशन के वीडियों में रावत अपने खिलाफ बगावत करने वाले विधायकों का समर्थन खरीदने के लिए सौदेबाजी करते दिखे थे। सीबीआई की एफआईआर में हरक सिंह रावत और उमेश कुमार का भी नाम शामिल है।केस दिल्ली में दर्ज किया गया है।
जानकारी के अनुसार मामला दर्ज होते ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से पूर्व सीएम हरीश रावत मिलने पहुंचे। सलमान खुर्शीद, राशिद अल्वी, अविनाश पांडे, देवेंद्र यादव, काजी निजामुद्दीन समेत कई नेताओं ने भी मुलाकात की
दरअसल हरीश रावत प्रदेश के ऐसे पहले पूर्व मुख्यमंत्री हैं, जिनके खिलाफ सीबीआई ने मामला दर्ज किया है। ये मामला उस वक्त का है जब साल 2016 में मुख्यमंत्री रहते हुए हरीश रावत की सरकार पर विधानसभा में बहुमत का संकट आ गया था। ऐसे में राज्य की राजनीति में तो भूचाल तो था ही, साथ ही साथ हरीश रावत को ये समझ में नहीं आ रहा था कि वो अपनी सरकार को कैसे बचाएं? क्योंकि सरकार का साथ दे रहे विधायक एक झटके में ही टूट कर विपक्षी खेमे बीजेपी के पाले में चले गए थे। ऐसे में चौरतरफा घिरे हरीश रावत का एक स्टिंग उसी दौरान सामने आया। इस स्टिंग में ऐसा दिखाया गया कि हरीश रावत विधायकों की खरीद-फरोख्त कर रहे हैं, यानी अपनी सरकार को बचाने के लिए पैसों का लालच दे रहे हैं।
उस वक्त सरकार के पास विधायक पूरे नहीं थे, लिहाजा सरकार फौरन अल्पमत में आ गई। हरीश रावत के रहते हुए ही राज्य ने पहली बार राष्ट्रपति शासन भी देखा।
हालांकि बाद में हरीश रावत फ्लोर टेस्ट में पास भी हो गए। लेकिन स्टिंग के अचानक आ जाने से विपक्षी दल और कांग्रेस पार्टी के बागियों ने हरीश रावत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उस वक्त बीजेपी ने सीबीआई जांच की मांग की थी। 31 मार्च 2016 में ही राज्यपाल की संस्तुति पर हरीश रावत के खिलाफ सीबीआई ने जांच शुरू कर दी। मामले की जांच के बाद सीबीआई ने बीते महीने ही कोर्ट में हरीश रावत के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए अनुमति मांगी और सीबीआई को दिशा निर्देश देते हुए मामला दर्ज करने के आदेश भी दिए।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता किशोर उपाध्याय ने इस मामले में कहा कि “हरीश रावत पर भाजपा सरकार द्वारा CBI के माध्यम से उत्पीड़न करवाना निंदनीय है, उन पर राजनैतिक प्रतिशोध की भावना से मुक़द्दमा दर्ज किया गया है।”