राज्य में ट्रैकिंग से जुड़े पर्यटन के विकास के लिये सरकार ने उत्तरकाशी के चाईंशील ट्रेक को ट्रेकिंग मैप पर जगह दिलाने की तैयारी की है।इसके लिये ट्रैक आॅफ द इयर चांईशील-2017 अभियान शुरू किया गया है।
इस बारे में बताते हुए पर्यटन सचिव मीनाक्षी सुन्दरम ने बताया कि “चांईशील ट्रैक को विश्व प्रसिद्ध बनाने और खासतौर पर युवाओं को इसमें हिस्सा लेने के लिये पर्यटकों को देश विदेश से बुलाया जा रहा है।”
संयुक्त निदेशक पर्यटन पूनम चंद इस ट्रेक के लिये नोडल अधिकारी होंगे।ये ट्रेक गुरूवार 21 सितम्बर, 2017 से 7 अक्टूबर, 2017 तक चलेगा। इस अभियान में
- पहले दिन प्रतिभागी देहरादून से चांईशील लगभग 230 कि.मी. की यात्रा करेंगे, रात में बेस कैम्प बलावत में होगा।
- दूसरे दिन बलावत से सुनौटी थाच तक लगभग 5-6 घण्टे का ट्रेक और सुनौती थाच में रात बिताई जायेगी।
- तीसरे दिन लगभग 5-6 घण्टे की यात्रा सामटा थाच तक करेंगे।
- चैथे दिन 5-6 घण्टे का सफर समता थाच से सरूताल/टिकुला थाच तक का होगा।
- पांचवे दिन टिकुला थाच से डगान मोरीयाच तक 4-5 घण्टे का ट्रैक किया जायेगा और रात डगान मोरीयाच में।
- छठे दिन मोरीयाच से चिवां तक 3-4 घण्टे का ट्रक करने के बाद देहरादून के लिए रवाना होंगे।
देहरादून से लगभग 230 कि.मी. की दूरी पर स्थित चांईशील, उत्तरकाशी के मोरी ब्लाॅक के बंगाण क्षेत्र की कोठीगाड घाटी एवं हिमाचल प्रदेश के रोहडू एवं डोडराक्वार के मध्य की ऊंची चोटियों की अर्द्धचंद्राकार पर्वत श्रृंखला के रूप में लगभग 25-30 कि.मी. में फैला है। चांईशील में छोटी-छोटी घास के बड़े-बड़े बुग्याल, फूलों की घाटियाों में पर्वतीय घास, विभिन्न प्रकार के फूल एवं जड़ी-बूटियां और जगह-जगह छोटी नदियां और वाटरफाॅल है। यहां पर मोनाल पक्षी भी प्रायः देखने को मिलते है। चांईशील की निचली घाटियों तथा कोठी गाड़ बंगाण में स्थानीय लोगों के सेब के बड़े-बड़े बागान एवं काष्ठकला की नक्काशीयुक्त लकड़ी से निर्मित देव मंदिर व मकान इसकी सुंदरता को और बढ़ाते हैं।