उत्तराखंड देवस्थानम बोर्ड ने स्थानीय लोगों के लिए चारधाम यात्रा को खोल दिया है। जिला प्रशासन की अनुमति से श्रद्धालु धामों में जा सकेंगे। जिन लोगों के धामों में होटल, धर्मशाला, दुकानें व अन्य परिसंपत्तियां हैं वे भी संबंधित जिलों के प्रशासन से अनुमति लेकर जा सकते हैं।
मंगलवार को बोर्ड के सीईओ और गढ़वाल कमिश्नर रविनाथ रमन ने यह आदेश किए हैं। गंगोत्री, यमनोत्री और केदारनाथ के कपाट अप्रैल अंत और बद्रीनाथ के कपाट 15 मई को खुल चुके थे, लेकिन कोरोना महामारी के मद्देनजर दर्शन पर रोक लगाई गई थी। केंद्र सरकार के धार्मिक स्थलों को आठ जून से खोलने की अनुमति मिलने के बाद बोर्ड ने राज्य सरकार की गाइड लाइन के अनुसार धामों को स्थानीय लोगों के लिए खोल दिया है।
बोर्ड व जिला प्रशासन के अफसरों ने एक दिन पहले चारधामों के हक-हकूकधारियों, जनप्रतिनिधियों, होटल, टैक्सी यूनियन व निकाय प्रतिनिधियों से इस बारे में सुझाव लिए थे।सभी ने 30 जून तक के यात्रा बड़े स्तर पर स्थगित रखने के सुझाव दिए थे। अलबत्ता, स्थानीय लोगों के साथ ही जिन लोगों की धामों में परिसंपत्तियां हैं, उन्हें जाने पर सहमति दी थी, ताकि ऐसे लोग अपने होटल, गेस्ट हाउस, धर्मशालाओं के मरम्मत करा सकेंगे।
तीन हजार श्रद्धालु ही कर सकेंगे दर्शन
चारों धामों में एक दिन सिर्फ तीन हजार श्रद्धालुओं को ही जाने की अनुमति दी जाएगी। सबसे ज्यादा 1200 श्रद्धालु बद्रीनाथ धाम के दर्शन कर सकेंगे, जबकि केदारनाथ धाम में 800, गंगोत्री में 600 और यमनोत्री धाम में 400 श्रद्धालुओं को अनुमति मिलेगी।
सुबह सात बजे से हो सकेंगे दर्शन
चारों धामों में सुबह सात बजे से शाम सात बजे तक ही दर्शन हो सकेंगे। जो व्यक्ति भी इस दौरान धामों में जाएंगे, वे स्वयं ही अपनी व्यवस्थाएं करेंगे। दर्शन करने वालों को बोर्ड की तरफ से निशुल्क टोकन उपलब्ध कराए जाएंगे। टोकन में दर्शन के लिए निश्चित समय एवं तिथि का उल्लेख भी रहेगा।