हरिद्वार। चार दिवसीय छठ महापर्व के तीसरे दिन बड़ी संख्या में व्रती महिलाओं ने गंगा के विभिन्न घाटों पर अस्ताचलगामी सूर्य को अध्र्य देकर अपने सुख-समृद्वि की कामना की।व्रती महिलाओं एवं उनके परिजनों ने विशेष सामग्री,से निर्मित डाला भगवान भाष्कर को अध्र्य के साथ समर्पित किये।
इस दौरान बड़ी संख्या में लोग विभिन्न घाटों पर छठ महापर्व में शामिल हुये। व्रती महिलाओं ने दोपहर तीन बजे से ही गंगा में प्रवेश कर छठी मैया की आराधना करते रहे। प्रकृति को समर्पित इस महापर्व को लेकर लोगों को अटूट आस्था और श्रद्वा का सैलाब देखा जाता है। पूर्वी यूपी तथा बिहार के प्रमुख त्यौहारों में शुमार छठमहापर्व का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया गया। चार दिवसीय महापर्व के तीसरे दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अघ्र्य देने बड़ी संख्या में व्रती महिलाओं के अलावा उनके परिजन शामिल हुये। तीर्थनगरी के हर की पैड़ी सहित विभिन्न घाटों पर शाम चार बजे से ही व्रती महिलाओं के आने का सिलसिला प्रारम्भ हो गया। अस्ताचल गामी सूर्य को अघ्र्य देते हुए श्रद्वालु महिलाओं ने अपने परिवार के सुख समृद्वि की कामना की। बताते चले कि चार दिवसीय इस महापर्व की शुरूआत नहाय खाय से होती है। रविवार को नहाय खाय के बाद सोमवार को खरना का पर्व मनाया गया, अत्यधिक पवित्रता के साथ खरना के लिए विशेष रूप से तैयार साम्रगियों के किया जाता है। खरना करने के बाद व्रती महिलाओं का 36 घंटे के लिए निर्जला व्रत शुरू हो गया। व्रती महिलाओं द्वारा मंगलवार को व्रत के साथ बांस के टोकरे में कई प्रकार के फल और पकवान व पूजन सामग्री के साथ दोपहर तीन बजे से गंगा घाटों पर मिट्टी के लेदी बनाकर छठ मैया के मंगलगीत गाकर पूजन शुरू हुआ। मंगलवार को सायंकाल को अस्तांचल गामी भगवान सूर्य नारायण को गाय के दूध के साथ अघ्र्य दिया। इस दौरान विभिन्न संगठनों द्वारा विशेष रूप से सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किये गये। बहरहाल मंगलवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अध्र्य देने के लिए हर की पैड़ी,सुभाष घाट,बिड़ला घाट,प्रेमनगर घाट सहित विभिन्न घाटों पर श्रद्वालुओं की भारी भीड़ पहुची। जहां व्रती महिलाओं के साथ साथ उनके परिजनों ने विशेष रूप से बनाये गये डाला के साथ अध्र्य देकर भगवान भाष्कर से अपने परिवार एवं समाज के लिए सुख-समृद्वि की कामना की। इस महापर्व का समापन बुधवार को उगते सूर्य केा अध्र्य देने के साथ ही हो जायेगा।