ऋषिकेश, उत्तराखंड में चार धाम यात्रा यात्रा के प्रवेश द्वार ऋषिकेश के एक मात्र सरकारी अस्पताल के हाल सरकार के तमाम वादों की हकीकत बताने के लिए काफी है, यहाँ काफी लंबे समय से डाक्टर की कमी के चलते मरीजों को काफी दिक्केतें हो रही है, तो वहीँ हॉस्पिटल की व्यवस्था की तरफ भी कोई ध्यान देता नहीं दिख रहा है।
हालात ये है कि सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में पिछले कई महीनों से रेबीज़ तक की भी दवाई उपलब्ध नहीं है, साल 2013 की आपदा के जख्म आज भी हर किसी के दिलं में हरे है, स्वस्थ सेवाओं की बदहाली का खामिजाय हमें उस वक्त भी भुगतना पड़ा था, पर अफसोस, आपदा के इतने साल बाद भी हालात जस के तस बने हुए है। पुरे पहाड़ों की स्वस्थ सेवाओं को जोड़ने वाले ऋषिकेश के एक मात्र सरकारी अस्पताल के हाल भी बेहद खराब है। सरकारी अस्पताल में कई विभागों में डॉक्टर्स की काफी कमी चल रही है, कई विभागों के सर्जन नहीं है, ऐसे में पहाड़ों से बेहतर इलाज के लिए ऋषिकेश आने वाले मरीजों को सरकार की इस नाकामी का खामियाजा उठाना पढता है । इसके पीछे का कारण डॉक्टर के तबादले तो कर दिए गए लेकिन उनकी जगह अभी तक कोई डॉकटर नहीं आया है जिसको लेकर ऋषिकेश की जनता में त्रिवेंद्र सरकार के प्रति गुस्सा है।
ऋषिकेश के पहाड़ी जिलों से जुड़े होने के कारण दूर दराज से गांव के लोग इलाज के लिए ऋषिकेश के सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए आते है परन्तु सरकारी अस्पताल के हाल यह है कि यहाँ कई विभागों में डॉक्टरों की कमी चल रही है। यह हाल तब है जब नयी सरकार डबल इंजन की बात कर उत्तराखंड में नए बदलाव की बात कर रही है, ऐसे में ऋषिकेश का ये अस्पताल प्रदेश की स्वास्थ व्यवस्थाओं की पोल खोलने के लिए काफी है।
जब तक राजकीय चिकित्सालय ऋषिकेश में रिक्त पड़े डॉक्टरों के पद भरें नही जाएंगे तब तक अनशन और आंदोलन जारी रहेगा। ‘राइट टू हेल्थ’ के ऋषिकेश सह सयोंजक उत्तम असवाल ने कहा कि, “जून 2017 से ऋषिकेश अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ, रेडियोलॉजिस्ट, निश्चेतक, महिला रोग विशेषज्ञ समेत ईएनटी, चर्मरोग, ईएमओ चिकित्सक का पद रिक्त होने के कारण रोजना हजारों रोगियों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।” गढ़वाल महासभा के प्रदेश अध्यक्ष एवं राइट टू हैल्थ से जुड़े डॉ राजे नेगी ने कहा कि, “विश्व पटल पर अंर्तराष्टीय योग नगरी के नाम से विखयात एवं चारधाम यात्रा का मुख्य द्वार पर चिकित्सको के अभाव के कारण रोजाना दुर्घटना में घायल होने वाले मरीजो को भी इलाज न मिल पाने के कारण अस्पताल रेफर सेंटर बनकर रह गया है।”