बिना रजिस्ट्रेशन चल रहे सैंकड़ों अस्पताल

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A patient waits outside a doctor's clinic at a residential area in Mumbai December 24, 2012. REUTERS/Danish Siddiqui

उधमसिंह नगर के काशीपुर में सैकड़ों निजी अस्पताल चल रहे हैं, मगर सीएमओ कार्यालय में सिर्फ 26 निजी अस्पताल पंजीकृत हैं। इसका खुलासा सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई सूचना से हुआ। पंजीकृत न कराने वाले अस्पताल संचालक मरीजों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। यही नहीं, अस्पतालों में अंट्रेंड लोग काम भी कर रहे हैं।

हैरानी की बात यह है कि 26 अस्पतालों को छोड़कर सभी अस्पताल बिना पंजीयन के चल रहे हैं। इन अस्पतालों में अंट्रेंड लोग मरीजों को इंजेक्शन लगा रहे हैं और रोगों से संबंधित जांच भी रह रहे हैं। ऐसे में मरीजों का सही तरीके से इलाज नहीं हो पा रहा है। पंजीकृत न होने से झोलाछाप डॉक्टर मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। मरीज के इलाज में लापरवाही बरतने के मामले में आए दिन किसी न किसी अस्पताल में हंगामा होता रहता है। क्लीनिकल स्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत पंजीयन जरूरी है। स्थायी पंजीयन तब होता है, जब अस्पताल पूरे मानक पर खरा उतरता है। पांच साल के लिए पंजीयन होता है और हर साल नवीनीकरण कराया जाता है। खास बात यह है कि एक्ट तो बन गए, मगर पंजीयन न कराने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का नोटिफिकेशन नहीं हुआ है। एक भी अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई है। ऐसे में अस्पताल में मनमानी तरीके से इलाज किया जा रहा है। एक्ट के तहत पंजीयन होने पर अस्पतालों में ट्रेंड लोगों को काम के लिए रखा जाएगा। इससे मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी।

आरटीआइ कार्यकर्ता आसिम अजहर ने स्वास्थ्य विभाग से पंजीकृत सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों की सूचना मांगी तो अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डा. अविनाश खन्ना ने उपलब्ध कराई सूचना में जिला रजिस्ट्रीकरण प्राधिकरण के तहत 26 अस्पताल पंजीकृत हैं। इनमें आठ स्थायी पंजीकृत हैं। बाकी अनंतिम हैं।