अधिकारी उत्तर प्रदेश सरकार से जानकारी हासिल करने के लिये करे आरटीआई का इस्तेमाल: सीएम

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मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तर प्रदेश के साथ परिसंपत्तियों के बंटवारे के अधिकारियों को पूरी तैयारी कर लेने की हिदायत दी है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि परिसंपत्तियों के बारे में उत्तर प्रदेश से बात करते हुए अपने पक्ष को मजबूती के साथ रखा जाए, साथ ही जिन मामलों पर कोर्ट में कार्यवाही चल रही हैं, उन पर कोर्ट में भी अपने पक्ष को मजबूती के साथ रखा जाए। उन्होंने कहा कि हमें अपनी परिसंपत्तियों की विस्तृत जानकारी होनी चाहिए। जिनकी जानकारी हमारे पास नहीं है और यदि उत्तर प्रदेश से हमें जानकारी नहीं मिल पाती है, तो इसके लिए सूचना का अधिकार के अंतर्गत जानकारी मांगी जाए। 

गौरतलब है कि संपत्ति बंटवारे में मुख्य मामले हैं:

  • सिंचाई विभाग के अंतर्गत 1399 भवन उत्तर प्रदेश के पास है जिनमें से उत्तर प्रदेश को मात्र 420 की जरूरत है। इनमें से 997 भवन उत्तराखण्ड शासन को दिए जाने हैं।
  • हरिद्वार, उधमसिंहनगर और चंपावत में 5842 हेक्टेयर भूमि उत्तर प्रदेश के नियंत्रण में है जिनमें से 2557.78 हेक्टेयर रिक्त भूमि पर उत्तराखंड का हक बनता है।
  • कुंभ क्षेत्र की 697.5 हेक्टेयर भूमि उत्तर प्रदेश के नियंत्रणाधीन है, यह भूमि राज्य बनने के पूर्व से ही कुंभ मेला कार्य के लिये सुरक्षित की गई थी। इसका उपयोग अन्य किसी कार्य के लिए नहीं किया जा सकता हैइसलिये यह भूमि उत्तराखंड को मिलनी चाहिए।
  • हरिद्वार की 10 में से 4 नहरों एवं उधमसिंहनगर कि 33 में से 25 नहरों का रखरखाव उत्तराखण्ड को मिलना चाहिए।
  • टीएचडीसी भारत सरकार का उपक्रम होने के कारण एवं इसका पंजीकृत कार्यालय एवं प्रोजेक्ट उत्तराखण्ड की परिधि में होने के कारण इसकी 25 प्रतिशत हिस्सेदारी उत्तराखण्ड को मिलनी चाहिए।
  • 198 मेगावाॅट क्षमता वाले कालागढ़ जल विद्युत गृह पूर्ण रूप से उत्तराखंड की परिधि में स्थित है इसलिये इससे बनने वाली बिजली पर उत्तराखंड का हक है।

गौरतलब है कि राज्य बनने के बाद से ही दोनों राज्यों के बीच बंटवारे का मामला चलता आ रहा है। राज्य में बीजेपी औऱ कांग्रेस दोनो की ही सरकारें आ गई लेकिन इस पर कोई समाधान नहीं निकल सका। अब मुख्यमंत्री के लिये ये काम पूरा करना चुनौती भरा है क्योंकि दोनों राज्यों में बीजेपी की ही सरकार है। लेकिन संपत्ति बंटवारे के मामले में अधिकारियों की तैयारी और जानकारी पर पहले भी मुख्यमंत्री अपनी नाराजगी सार्वजनिक कर चुके हैं। एसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में राज्य के अधिकारी अपना होमवर्क कितना पूरा करते हैं।