हिमालय को हमारी नहीं, बल्कि हमें हिमालय की जरूरतः सीएम

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देहरादून, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हेमवन्ती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर के बिड़ला परिसर में डिपार्टमेंट ऑफ जियोग्राफी की ओर से आयोजित ‘इन्वायरमेंट, रिसोर्सेज एंड डेवलपमेंट ऑफ द इंडियन हिमालया’ विषय पर आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभाग किया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि इस गोष्ठी के माध्यम से हमें हिमालय में हो रही हलचल तथा अन्य गतिविधियों पर गंभीरता से सोचने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि यह कार्य तभी सम्भव है जब हम आशा, विश्वास तथा समेकित प्रयासों के साथ हिमालय को बचाने के लिए आगे बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि हिमालय को हमारी नहीं, बल्कि हमें हिमालय की जरूरत है। हिमालय के माध्यम से नदियां आज जीवित हैं। जो कि मानव के जीवन रक्षक का कार्य भी कर रही है। उन्होंने कहा कि इसमें समस्यायें तो बहुत हैं, पर हमें इसका समाधान मिलजुलकर ही निकालना होगा। वैज्ञानिकों को भी इस ओर गंभीरता के साथ सोचना होगा। वैज्ञानिकों पर हिमालय को बचाने की बड़ी जिम्मेदारी है।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में अनेक वनस्पतियां औषधीय गुणों से भरपूर है। जिसे हमें उनके प्रयोग की सही विधि को समझकर उसे धरातल पर उतारना होगा। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रदेश के लिए पर्यावरण को संरक्षण एवं विकास को गति देना एक प्राथमिता होती है। उन्होंने कहा कि पहले हर कार्य असम्भव होता है लेकिन बाद में प्रयास करने के उपरान्त उस कार्य को सम्भव बनाया जाता है। इसके लिए बुद्धिजीवियों, छात्र- छात्राओं और वैज्ञानिकों के साथ-साथ आम नागरिकों को भी आगे आना होगा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने पर्यावरण संरक्षण से संबंधित विभिन्न पुस्तकों का विमोचन भी किया। उन्होंने सभी लोगों को हिमालय को बचाने में अपनी भूमिका अदा करने का आह्वान किया।

इस अवसर पर उच्च शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत, देवप्रयाग विधायक विनोद कंडारी ने भी अपने संबोधन में हिमालय के पर्यावरण संरक्षण प्रति जनजागरूकता के साथ ही इस दिशा में समेकित प्रयासों की जरूरत बतायी। प्रभारी कुलपति अनपूर्णा नौटियाल ने विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित इस संगोष्ठी के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला।