मुख्यमंत्री ने 13वीं उत्तराखण्ड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कांग्रेस का शुभारम्भ

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विज्ञान धाम, झाझरा में तीन दिवसीय 13वीं उत्तराखण्ड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कांग्रेस का शुभारम्भ करते हुए मुख्यमंत्री ने विज्ञान कांग्रेस में आये वैज्ञानिकों एवं शोधार्थियों से देश व प्रदेश हित में जैव विविधता के व्यापक सदुपयोग में भी सहयोगी बनने को कहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां भी वैज्ञानिक एकत्र होते हैं उसका लाभ अवश्य मिलता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस सम्मेलन का भी राज्य को लाभ मिलेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि, “वर्तमान में हमारे सामने पर्यावरण एवं जैव विविधता को बचाये रखने की चुनौती है। इस विज्ञान कांगे्रस में आये वैज्ञानिक इस चुनौती का सामना करने को भी मददगार बनें। हमारे सामने भविष्य में पानी की जरूरतों को पूरा करने की भी चुनौती है। इसके लिये वर्षा जल संग्रहण की दिशा में हमें सोचना होगा।
प्रदेश में पिथौरागढ़, पौड़ी के साथ ही देहरादून में जलाशय बनाये जा रहे है। नदियों के प्रवाह को बनाये रखना भी हमारे लिये चुनौती है। इस चुनौती का सामना हम वर्षा जल संग्रहण के साथ ही व्यापक स्तर पर जलाशयों के निर्माण से कर सकते हैं। इससे हम ग्रेविटी आधारित पेयजल की आपूर्ति करने के साथ ही प्राकृतिक जल श्रोतों को रिचार्ज करने में भी सफल हो सकते हैं।
ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव हमारे ग्लेशियरों पर भी पड रहा है। ग्लेशियरों के पिघलने से नदियों में पानी की कमी हो रही है। इसलिये भविष्य की जरूरतों के लिये हमें वर्षा जल संग्रहण, नदियों के पुनर्जीवीकरण तथा प्राकृतिक जल श्रोतों के संवर्द्धन की दिशा में कारगर प्रयास करने होंगे। वैज्ञानिकों को इस दिशा में भी सोचना होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि, “विज्ञान का कार्य भ्रम को दूर करना है। कुछ लोगों का कहना है कि बांध से पानी के सोर्स पर प्रभाव पड रहा है। इस प्रकार के संसयों को भी वैज्ञानिकों को दूर करना होगा। हमारे युवा वैज्ञानिकों को भी इस दिशा में चिन्तन करना चाहिए।” मुख्यमंत्री ने कहा कि, “हमने प्रदेश में जल ही जीवन अभियान के तहत जन सहभागिता के कार्यक्रम संचालित किये है। टाॅयलेट में पानी का उपयोग कम हो इसके लिये भी नई पहल की गई है। पानी की बचत की दिशा में हमें अभी से पहल करनी होगी क्योंकि पानी के बिना जीवन की कल्पना नही की जा सकती है। यह हमारी ज्वलंत समस्या है। इस दिशा में भी हमें पहल करनी होगी।” 
इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया तथा विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने वाले वैज्ञानिक डाॅ.दिलीप कुमार उप्रेती, वैज्ञानिक प्रो. प्रीति गंगोला जोशी के साथ ही डाॅ.ममता सिंह को ‘बेस्ट सांइस टीचर’ का एवार्ड प्रदान किया।
मुख्यमंत्री विज्ञानधाम के परिसर तथा प्रस्तावित सांइस सिटी के स्थल का भी निरीक्षण किया।