गुरू गोविंद सिंह के 350 वे पर्व पर दून में होगा बड़ा कार्यक्रमः सीएम रावत

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शनिवार को मुख्यमंत्री आवास में गुरू गोविंद सिंह जी महाराज के 350 वें प्रकाश पर्व वर्ष को समर्पित ‘कीर्तन दरबार’ का आयोजन किया गया। ‘कीर्तन दरबार’ में प्रतिभाग करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने श्री गुरू ग्रन्थ साहिब के मत्था टेका और श्री गुरू गोविंद सिंह जी महाराज का स्मरण किया।

मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि यह बड़े सौभाग्य की बात है कि मुख्यमंत्री आवास में श्री गुरू गोविंद सिंह जी महाराज के 350 वें प्रकाश पर्व वर्ष को समर्पित ‘कीर्तन दरबार’ का आयोजन किया गया। उडी़सा में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति की बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्री गुरू गोविंद सिंह जी महाराज के 350 वें प्रकाश पर्व वर्ष को राष्ट्रीय स्तर पर मनाए जाने का प्रस्ताव रखा था। श्री गुरू गोविंद सिंह जी ने धर्म व समाज की रक्षा के लिए अपने पिता को बलिदान के लिए प्रेरित किया और अपने दोनों पुत्रों का बलिदान किया। इतिहास में ऐसी मिसाल बहुत ही कम देखने को मिलती है।

मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि श्री गुरू गोविंद सिंह जी महाराज के 350 वें प्रकाश पर्व को राष्ट्रीय पर्व की तरह मनाया जाना चाहिए। देहरादून में गुरू गोविंद सिंह जी को समर्पित एक कार्यक्रम का बडे़ स्तर पर आयोजन किया जाएगा। यह गुरू गोविंद सिंह जी की दूरदृष्टि थी कि उन्होंने गुरू ग्रन्थ साहिब की को सर्वोच्च स्थान दिया। उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की और उसमें सभी वर्गों के लोग शामिल हुए। खालसा का तात्पर्य है पवित्र। खालसा राज का अर्थ है पवित्रता का राज।

मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि उत्तराखंड में सौहार्द्र की परम्परा रही है। यहां सभी धर्मों के पवित्र स्थल हैं। हम अपनी समस्याओं का समाधान आपस में मिलकर स्वयं निकाल सकते हैं। ज्ञान गोदड़ी का मामले का समाधान भी हम उत्तराखंड के लोग आपस में मिलकर खुद ही कर लेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि ज्ञान गोदड़ी के मामले के हल के लिए एक कमेटी बनाई जाएगी जिसमें सभी की राय से सदस्य नामित किए जाएंगे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री को सिरोपा भेंट किया गया।

कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद्र अग्रवाल, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, विधायक हरबंस कपूर, हरभजन सिंह चीमा,  गणेश जोशी, खजानदास, राष्ट्रीय सिख संगत के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन अविनाश जायसवाल, राष्ट्रीय महासचिव डा.अवतार सिंह शास्त्री, सहित अन्य गणमान्य व राज्य के विभिन्न स्थानों से आए सिख संगत उपस्थित थे।