लगता है कि राज्य में सचिवालय और अधिकारियों का आरामपसंद तरीके से काम करने के अंदाज़ का स्वाद सूबे के मुख्यमंत्री को भी चखने को मिल गया है। इसके चलते मुख्यमंत्री ने सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को अपने तौर तरीके बदलने के आदेश दे दिये हैं। रावत ने निर्देश दिए हैं कि
- निर्माण कार्यों में एक समय सीमा तय की जाय।
- जन समस्याओं के निदान हेतु सचिवालय में मिलने वालों के लिए एक दिन सुनिश्चित किया जाय।
- प्रभारी मंत्री एवं प्रभारी सचिव अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर निरीक्षण करेंगे।
- प्रभारी सचिव एवं मंत्री के दौरे के समय उन क्षेत्रों में जनता मिलन का कार्यक्रम भी रखा जाए। इसे प्रभावी ढंग से लागू किया जाए।
- किसी भी कार्य को करने के लिए एक समय सीमा तय की जाय।
- उन्होंने निर्देश दिए कि राज्य के सभी अधिकारी व कर्मचारी समय पर कार्यालय में उपस्थित हो इसके लिए बायोमेट्रिक उपस्थिति की व्यवस्था की जाए।
- उन्होंने सचिवालय एवं सभी विभागों की कार्यप्रणाली को बदलने पर बल देते हुए कहा कि फाईल प्रोसेस को छोटा किया जाना चाहिए।
- किसी भी फाइल को 4 स्तरों से अधिक स्तर पर ना गुजरना पड़े, इसका विशेष ख्याल रखा जाना चाहिए। इसके लिए ई-फाइलिंग की शुरुआत की जाए।
- साथ ही फाइल ट्रेकिंग सिस्टम को लागू किया जाए। किसी भी फाईल की किसी भी स्तर पर एक निश्चित समय-सीमा तय की जाय।
मुख्यमंत्री के तेवर तो काफी तीखे हैं पर देखना ये होगा कि सालों से चींटी की रफ्तार से काम करने के आदि हो चुके सरकारी कर्मचारियों पर सूबे के मुखिये के इन तेवरों का कितना असर पड़ता है।