भले ही कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई पर आपसी उठापटक नहीं थम रही है, जिसके कारण कांग्रेस संगठन में लगातार घमासान मची हुई है। नए प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के आने के बाद कार्यकारिणी में जमे दिग्गजों द्वारा नई कार्यकारिणी में भी जोड़-तोड़ गठजोड़ का दौर जारी है। अब कांग्रेस ने विकासखंडों, जनपदों से लेकर प्रदेश स्तर पर संगठन में दबदबा बनाने का काम जारी है। जिसके कारण दिग्गजों में खींचतान और बढ़ रही है।
दिग्गजों के लिए छटपटाहट का अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि हर गुट अपने लोगों को संगठन में एकजुट करने को आमादा हैं। कांग्रेस ने नई संगठनिक इकाइयों के चुनाव में तेजी आने के साथ-साथ पार्टी के बड़े दिग्गज आपस में टकराते दिख रहे हैं। पिछले दिनों बड़े नेताओं में जो कुछ चर्चाएं हुई वह इसी बातचीत का अंग मानी जा रही है। हर नेता संगठन पर परोक्ष रूप से प्रभाव जमाना चाहता है, जबकि पार्टी के दिग्गज इसी प्रभाव को जमाने में लगे हुए हैं। प्रदेश के नए मुखिया प्रीतम सिंह इस मामले में दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंककर पीता है कि कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं। उसके बावजूद उन्हें क्षेत्रीय क्षत्रपों को एकजुट रखने में अच्छी खासी मेहनत करनी पड़ रही है। पूर्ण बहुमत से 11 विधायकों तक पहुंची कांग्रेस के इस परिणाम का मोदी मैजिक कारण तो है ही जिस ढंग से उस समय पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत तथा संगठन के मुखिया किशोर उपाध्याय के बीच धींगामुश्ती मची हुई थी, वह विजय बहुगुणा के पार्टी छोड़ने के बाद भी बरकरार रही और हरीश रावत जो सत्ता के मुखिया थे और किशोर उपाध्याय जो संगठन के मुखिया थे, दोनों अपनी सीट तक नहीं बचा पाए।
अलग-अलग बातचीत के दौरान नाम ना छापने की शर्त पर पार्टी सूत्रों ने बताया कि क्षेत्रीय और प्रादेशिक क्षत्रपों की इस अंदरखाने की खींचतान का परिणाम पार्टी को भुगतना पड़ सकता है। कांग्रेस संगठन में निचले स्तर पर पकड़ बनाने के लिए नेता प्रतिपक्ष, प्रदेशाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री तीनों गुटों ने पूरा जोर लगा रखा है।
इतना ही नहीं राज्य में कांग्रेस पार्टी के 274 सांगठनिक क्षेत्र हैं। चुनाव प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है। बूथ स्तर से संगठन में एक प्रतिनिधि क्षेत्र में भेजा जाएगा। इसी प्रकार क्षेत्र से जिले के लिए छह और प्रदेश कार्यकारिणी के लिए एक प्रतिनिधि चुना जाएगा। यह चुनाव सितम्बर माह तक पूरा हो जाना है। जिला स्तर की इकाइयां गठित होने के बाद प्रदेश स्तर के इकाइयों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय चाहते हैं कि संगठन में उनके लोगों को अच्छा खासा स्थान मिले। दूसरी ओर वर्तमान प्रदेशाध्यक्ष प्रीतम सिंह अपने लोगों को समायोजित करना चाहते हैं, लेकिन उनके सामने सांगठनिक चुनाव में दिग्गजों से तालमेल बिठाने की चुनौती है। हालांकि पार्टी हाईकमान खुद इसतरह की चुनौती को लेकर अलर्ट है। यही वजह है कि राज्य में चुनाव के लिए प्राधिकरण का गठन किया गया है। प्राधिकरण की देखरेख में ही निचली इकाइयों का गठन होना है।