देशभर में जीएसटी लागू होने के तीन दिन बाद भी दून के बाजारों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। हालांकि, इससे जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति पर कोई असर नहीं पड़ा है। कुछ सुपर मार्केट को छोड़कर अधिकतर व्यापारी सामानों का बिल देने में असमर्थता जता रहे हैं। कीमतों को लेकर भी व्यापारी से लेकर ग्राहक तक दुविधा में है। एक जुलाई से देशभर में ‘एक देश, एक कर’ व्यवस्था लागू कर दी गई लेकिन, बाजारों में व्यापारियों के बीच दुविधा की स्थिति बनी हुई है। कुछ ने तो अब तक जीएसटी नंबर ही नहीं लिया, जो एक जुलाई से पहले लिया जाना था। वहीं, जीएसटी को लागू नहीं किए जाने जैसी अफवाहों के चलते व्यापारी भ्रमित हो गए। इतना ही नहीं इसे लेकर राजनीति भी जमकर हुई। इसमें कपड़ा व्यापारियों को तो यह तक आश्वासन दिया गया कि इस कारोबार को जीएसटी से बाहर करने की बात चल रही है। इसी कारण इन व्यापारियों ने अपने सिस्टम को अपडेट नहीं कराया और अब परेशानी झेलने को मजबूर है।
अब स्थिति यह है कि व्यापारी ग्राहकों को बिल नहीं दे पा रहे और खुद भी टैक्स भरने को लेकर दुविधा में है। हालांकि, अभी विशेषज्ञ भी इसके नफा-नुकसान का आंकलन करने में जुटे हुए हैं। जीएसटी को लेकर कुछ चीजों पर सीधा असर पड़ रहा है। खासकर वह उत्पाद या सेवाएं जो अभी तक राज्य व केंद्र सरकारों के करों के दायरे के विभाजन से बाहर थी। जैसे भवन निर्माण सामग्री। इसे लेकर इसलिए भी ज्यादा असमंजस की स्थिति बनी हुई है, क्योंकि यह दो राज्यों के राजस्व का मामला है। अभी जीएसटी के निर्धारण व जीएसटी नंबर न लिए जाने से यह सप्लाई पूरी तरंह से ठप पड़ी हुई है।
अगर दून के मुख्य बाजारों की बात करें तो अधिकतर व्यापरियों को अपने व्यवसाय की जीएसटी के अनुसार नई टैक्स दर की पूरी तरह से जानकारी नहीं है। दिनभर व्यापारी अपने व्यवसाय से जुड़े लोगों को फोन पर संपर्क कर आंकड़े जुटाने में लगे है। कुछ गलत अफवाहें भी बाजार में फैलाई जा रही हैं। पलटन बाजार में 40 साल से कपड़े का व्यापार कर रहे संजीव अरोड़ा का कहना है कि उन्हें उम्मीद थी कि सरकार इस व्यवसाय को जीएसटी से बाहर रखेगी, लेकिन अब जीएसटी नंबर के लिए आवेदन करना ही पड़ा। अब भी किस आधार पर कितना टैक्स लगाकर बिल बनाया जाए यह साफ नहीं हो पा रहा है।
धामावाला में जनरल स्टोर मालिक बलदेव सिंह का मानना है कि जीएसटी निश्चित रूप से लोगों के लिए फायदेमंद सबित होगा, लेकिन अभी इसके लागू होने के बाद कुछ परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। डिस्पेंसरी रोड पर इलेक्ट्रॉनिक की दुकान चलाने वाले व्यापारी अनिल गोयल का कहना है कि जीएसटी को लेकर जितने भ्रम की स्थिति में व्यापारी हैं, उतने ही ग्राहक भी परेशान है। इसका कारण यह है कि कुछ सामानों का दाम जो कम होना बताया जा रहा है, किन्हीं कारणों से जीएसटी के बाद वह मंहगा हो गया है। अब ग्राहक दुकानदार से जिरह कर रहे हैं कि बिल दो। ग्राहक भी इस नई टैक्स व्यवस्था को लेकर जानकारी के आभाव में व्यापरियों से भिड़ने पर आमादा है।
भवन निर्माण सामग्री पर पड़ा सीधा असर
दून में पहले से ही कीमतों के कारण लोगों की परेशानी का कारण बनी भवन निर्माण सामग्री अब किसी भी कीमत पर नहीं मिल पा रही है। जीएसटी के बाद उत्तराखंड में हालात और भी बदतर हो रहे है। पिछले कुछ माह से एक ओर सरकार को करोड़ो रुपये की राजस्व हानि हुई। वहीं, निर्माण सामग्री में दो से तीन गुना तक बढ़ोत्तरी ने जनता की कमर तोड़ कर रख दी है। पहले अदालत के आदेश के बाद खनन बंद होने से और बाद में ट्रकों पर सामग्री के भार तय करने के बाद से ही दामों में भारी उठाल आया। अब बारिश के कारण नदियों में खनन बंद होने और जीएसटी लागू होने के बाद तो किसी भी दाम में लोगों को निर्माण सामग्री नहीं मिल पा रही है।