उत्तराखंड विस चुनाव : भाजपा से ज्यादा कांग्रेस में उठे विरोध के स्वर

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उत्तराखंड

उत्तराखंड विधानसभा-2022 के चुनाव में दोनों राजनीतिक दलों को बगावत का सामना करना पड़ रहा है। भारतीय जनता पार्टी हो या कांग्रेस दोनों दलों के उम्मीदवारों की अभी पूरी घोषणा नहीं हुई है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी से ज्यादा कांग्रेस में अंतर्कलह और विरोध की खबरें आ रही हैं।

प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए जिस तरह कांग्रेस ने देर रात अपनी सूची जारी की, इससे भी लोगों में नाराजगी बहुत ज्यादा बढ़ गई है और भाजपा से भी ज्यादा अंतर्कलह झेलनी पड़ रही है। अनेक मजबूत दावेदारों को टिकट न मिलने से समस्या और बढ़ गई है। कुछ दावेदारों ने अपना विरोध दर्ज कराना प्रारंभ कर दिया है।

उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव के लिए गत शनिवार देर रात कांग्रेस के 53 नामों की घोषणा की गई थी। सबसे पुरानी पार्टी द्वारा सबसे बाद में सूची जारी करने वह भी आधी अधूरी सूची जारी करने से कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। उम्मीदवारों की सूची जनता के बीच आते ही विरोध के स्वर मुखर होने लगे हैं। विरोध की आशंका को देखते हुए संगठन की ओर से पार्टी के नेता मोहन प्रकाश को पर्यवेक्षक बनाकर उत्तराखंड भेजा गया है। मोहन प्रकाश नाराज लोगों को मनाने में लगे हुए हैं।

इतना ही नहीं कांग्रेस के प्रबंधन टीम ने 24 जिलाध्यक्षों से उन लोगों के संदर्भ में चर्चा की जो नाराज चल रहे हैं। इसके अलावा उन लोगों से भी चर्चा की गई है, जिनका नाम पहली सूची में चुनाव लड़ने के लिए घोषित किया गया था। ऐसे ही नाराज लोगों में कर्णप्रयाग विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की प्रत्याशा वाले सुरेश कुमार बिष्ट भी शामिल हैं। सुरेश कुमार बिष्ट 35 वर्षों से कांग्रेस की सेवा कर रहे हैं। टिकट न मिलने पर अगली रणनीति पर विचार करना प्रारंभ कर दिया है।

सुरेश कुमार का मानना है पिछले 35 साल उन्होंने अपने घर-परिवार और बच्चों से ज्यादा कांग्रेस का ख्याल रखा, लेकिन जब टिकट देकर उन्हें उनकी सेवा का फल मिलना था तब कांग्रेस ने उनके साथ सौतेला व्यवहार कर दिया। लोगों का मानना है कि सुरेश कुमार बिष्ट कांग्रेस छोड़ते हैं तो कर्णप्रयाग सीट पर कांग्रेस की जीत के आसार भी धुंधले हो सकते हैं।

इसी तरह पिथौरागढ़ की गंगोलीहाट विधानसभा सीट वरिष्ठ नेता नारायण राम आर्य अपना टिकट कटने से बेहद दुखी हैं। नारायणराम आर्य का कहना है कि वह हर अच्छे-बुरे वक्त में अपनी पार्टी कांग्रेस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे। हर आयोजन में बढ़-चढ़कर भाग लिया। पार्टी ने अब एक ऐसे व्यक्ति को टिकट दे दिया है, जिसने कांग्रेस के अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़ा था।

यही स्थिति हरिद्वार में है जहां भेल रानीपुर सीट पर महेश प्रताप राणा, वरुण बालियान, संजीव चौधरी जैसे बड़े नेताओं ने विरोध के स्वर मुखर कर दिए हैं। उत्तरकाशी की घनसाली विधानसभा सीट पर टिकट न मिलने से नाराज पूर्व विधायक भीमलाल आर्य ने विरोध का स्वर मुखर किया है। उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार के खिलाफ निर्दलीय मैदान में उतरने की घोषणा कर दी है।

गढ़वाल और कुमाऊं दोनों क्षेत्रों में विरोध के स्वर उठ रहे हैं। उत्तरकाशी जिले की यमुनोत्री विधानसभा सीट के वरिष्ठ नेता एवं टिकट के दावेदार नेता संजय डोभाल ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का घोषणा कर दी है। पौड़ी में भी यही स्थिति है। दावेदार कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग के पूर्व जिलाध्यक्ष व पूर्व जिला पंचायत सदस्य तामेश्वर आर्य ने पार्टी छोड़ने की घोषणा कर दी है जबकि पूर्व जिला उपाध्यक्ष विनोद दसौनी ने टिकट बंटवारे पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं।

कांग्रेस महिला प्रदेश महामंत्री और पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष लक्ष्मी राणा ने भी रुद्रप्रयाग विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। भारतीय जनता पार्टी के साथ-साथ कांग्रेस में भी बगावत के सुर दोनों दलों को हाशिये पर ला रहे हैं। देहरादून की महिला नेता कमलेश रमन भी नाराज हैं। बाजपुर से दावेदार पीसीसी सदस्य सुनीता टम्टा ने महिलाओं की अनदेखी करने का आरोप लगाया है जबकि किसान नेता जगतार बाजवा का भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों को ठगने वाला बता रहे हैं।

रामनगर विधानसभा सीट पर मुख्य संघर्ष हरीश रावत और रणजीत रावत के बीच हो चुका है। रणजीत रावत ने रामनगर को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ा है। उन्होंने कहा है कि रामनगर के दावेदार केवल वही हैं।