कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने राज्य में हुई भारी ओलावृष्टि और बारिश की वजह से किसानों को हुए नुकसान को देखते हुए राज्य में,सरकार से तत्काल “दैवीय आपदा “घोषित करने की मांग की है।
कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह की ओर से उक्त बयान को जारी करते हुए महामंत्री संगठन विजय सारस्वत और उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने गुरुवार को यहां कहा कि पिछले साल करीब 13 किसानों ने खराब हालातों के चलते आत्महत्या की थी और यदि सरकार ने जल्द इस बारे में ठीक फैसला ना लिया तो हालात राज्य में बिगड़ सकते हैं। उन्होंने सरकार से मांग की कि वह कम से कम किसानों के हित में “100 करोड रुपये का पैकेज” घोषित करें जिससे कि उनको फौरी सहायता दी जा सके ।
उन्होंने कहा कि अभी तो गन्ना किसानों और गेहूं उत्पादक किसानों का ही कई सौ करोड़ बकाया है जो हाईकोर्ट के फैसले के बावजूद भी राज्य के किसानों को प्राप्त नहीं हो पाया है। ओलावृष्टि से किसानों की फसलें और बागवानी को भारी नुकसान पहुंचा हैं। इसकी भरपाई करना अब किसानों के बस की बात नहीं रह गई है और इसलिए इसका एकमात्र हल यहीं रह गया है कि सरकार ओलावृष्टि के चलते आई इस दैवीय आपदा में किसान के बचाव के लिए आगे आए और पर्याप्त मात्रा में उसे आर्थिक सहायता और मुआवजा देकर उसके भारी परेशानी के इस दौर में साथ खड़ी हो।
अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि भारी वर्षा और ओलावृष्टि से जंहा गेहूं की फसल को भारी नुकसान हो गया है वही पर्वतीय जिलों में फल पट्टी में आडू,सेब पुलम खुमानी जैसे कीमती फल बर्बाद हो गए है। यही नहीं बेमौसमी वर्षा से आलू की फसल भी चौपट हो गई है। मैदानी क्षेत्रों में आम लीची जैसे फलों की फसलें बर्बाद हो गई हैं और खेतों मे पडा हुआ कटा हुआ व बचा हुआ गेहूं सड़ने के कगार पर है। शिमला मिर्च टमाटर मटर जैसी सब्जियों को भी भारी नुकसान हुआ है।
प्रीतम सिंह ने कहा कि उन्हें आश्चर्य है कि राज्य के कृषि विभाग ने जो आकलन नुकसान का बताया है उसकी राशि मात्र 26 करोड बताई है। जो कि बहुत ही हास्यास्पद है। उन्होंने कहा कि यह अनुमान ” ऊंट के मुंह में जीरा ” है और यह अनुमान देहरादून के एसी कमरों में बैठकर किया गया आकलन लगता है, जो सरकार की किसानों के प्रति असंवेदनशीलता को दर्शाता है।