कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मंत्री किशोर उपाध्याय इन दिनों दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नक्श-ए-कदम पर हैं। उनका बिजली-पानी के बिलों को जलाने का अभियान रंग दिखा रहा है। गढ़वाल और कुमाऊं में किशोर उपाध्याय अपने इस अभियान के मार्फत जनता के बीच पहुंच रहे हैं।
इस कार्यक्रम से कांग्रेस का कोई लेना देना नहीं है, लेकिन पार्टी में किशोर उपाध्याय के समर्थक इस कार्यक्रम में सक्रिय रूप से जुड़ रहे हैं। कांग्रेस के अरविंद केजरीवाल बनने की राह पर आगे बढ़ रहे किशोर उपाध्याय की निगाहें 2022 के विधानसभा चुनाव पर टिकी हैं।
2017 के विधानसभा चुनाव में सहसपुर से हारने के बाद किशोर उपाध्याय की पार्टी के भीतर स्थिति कमजोर हुई है। उन्हें प्रदेश अध्यक्ष से हाथ धोना पड़ा। हरीश रावत, डाॅ. इंदिरा ह्रदयेश और प्रीतम सिंह की आपसी लड़ाई के बीच किशोर उपाध्याय ने वनाधिकार आंदोलन शुरू कर अपने इरादे जता दिए हैं। उपाध्याय ने पार्टी संगठन के समानांतर कई कार्यक्रम आयोजित किए हैं।
दिल्ली चुनाव में फ्री बिजली के मसले पर अरविंद केजरीवाल की सफलता से प्रेरित उपाध्याय ने बिजली के साथ पानी को भी जोड़ दिया है। बिजली-पानी के बिल जलाए जा रहे हैं और इनकी फ्री सुविधा देने की मांग उठाई जा रही है। वैसे, फ्री बिजली की बात को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह कुछ मौकों पर कह भी चुके हैं। मगर पार्टी स्तर पर इसे प्रभावी ढंग से नहीं उठाया गया है। किशोर उपाध्याय इसे पहले ही लपकने के लिए आगे बढ़ गए हैं। वनाधिकार आदोलन के जरिये उत्तराखंडवासियों के हक-हकूक की बात वह पहले से उठा रहे हैं। किशोर उपाध्याय का कहना है कि उत्तराखंड पूरे देश के लिए सस्ती बिजली पानी का इंतजाम करता है, इसलिए उसे ये दोनों ही सुविधा फ्री मिलनी चाहिए। वह अपनी राजनीति का केंद्र टिहरी पर केंद्रित कर चुके हैं। यहां से वह विधायक बनकर एनडी तिवारी सरकार में राज्य मंत्री बने थे।