विधानसभा चुनाव में करारी हार के सदमे से जूझ रहे कांग्रेसी के प्रत्याशियो का गुस्सा आखिर फुट ही गया। राजीव भवन में करीब चार घंटे तक चली इस बैठक में पार्टी के प्रत्याशियों ने खुलकर अपने मन की भड़ास निकाली। सभी ने एक ही बात बोलते हुए यही बोला की भीतरघाटियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय और पूर्व सीएम हरीश रावत ने जल्द से जल्द कड़े कदम उठाने का आश्वासन दिया है।
वहीं रावत ने बैठक में सबसे विनती करी की यह हमारे परिवार की समीक्षा बैठक है। बातें अक्सर बाहर चली जाती हैं, कृपया सभी साथी अपना फोन स्विच ऑफ कर ले।
किशोर उपाध्याय की अध्यक्षता में शुरू हुई बैठक में हार के कारणो पर चुनाव लड़े प्रत्याशियो ने बारी बारी से अपना गुबार निकाला।बैठक में बैठे कुछ प्रत्याशियो ने यह भी कहा कि चुनाव के वक्त उनमे से कई लोग पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियो का ही विरोध कर रहे थे। ऐसे लोगो को तत्काल पार्टी से बाहर किया जाना चाहिए।
चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी प्रशांत किशोर को देने के फैसले पर भी नाराजगी जताई गई है। कहा कि चुनाव के वक्त ऐसे बाहरी आदमी को जिम्मेदारी देदी गई थी, जिसे राज्य की एबीसीडी तक नहीं पता थी। पी के को कमांन सौंपने से संघठन की प्रोग्रेस नीचे की तरफ चली गई। पूर्व सी एम रावत ने हार की जिम्मेदारी एक बार फिर स्वीकार की और कहा कि संसाधन की कमी के कारण भी नुक्सान हुआ है। कहा कि वास्तव में जितनी मदद देनी चाहिए थी, उतनी हो नहीं पाई। प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा कि अब सब नई ऊर्जा के साथ खड़े होंगे और राज्यहितो की रक्षा के लिए संघर्ष करेंगे।
साथ ही मंत्री प्रसाद नैथानी ने बागियो को जेब कतरे बताते हुए कहा कि वह वापस नहीं आने चाहिए।रावत ने यह भी कहा कि मेरा घर केंद्रीय एजेंसियों की निगरानी में था, मैं चाहकर भी सहायता नहीं कर पाया। इसका मुझे हमेशा दुख रहेगा।