सिडनी, कोरोना वायरस के आर्थिक असर और सऊदी अरब के रूस के साथ तेल कीमत युद्ध शुरू करने के बाद तेल की कीमतों में 30 फीसदी से अधिक गिरावट हुई। इससे घबराए निवेशकों के बॉन्ड की ओर जाने से वैश्विक शेयर बाजार में भी सोमवार को बड़ी गिरावट दर्ज की गई।
निवेशकों की भीड़ से अमेरिकी बांड यील्ड 30 साल में पहली बार एक फीसदी से कम हो गई। फेडरल रिजर्व के 18 मार्च की बैठक में ब्याज दरों में कम से कम 75 आधार अंकों की कटौती करने की उम्मीद है। ऐसा केवल आपातकालीन स्थितियों में ही किया जाता है।
कोरोना वायरस के वैश्विक प्रसार के कारण तेल कीमतों को स्थिर करने के लिए ओपेक ने प्रस्तावित उत्पादन में कटौती का प्रस्ताव रखा था। इस पर रूस के आपत्ति जताने के बाद रूस और सऊदी के बीच कीमत युद्ध शुरू हो गया, जिससे कीमतें 31 फीसदी तक गिर गईं।
सऊदी अरब द्वारा कीमतों में कटौती के बाद तेल की कीमतों में सोमवार को लगभग 25 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। सऊदी अरब ने अप्रैल में कच्चे तेल के उत्पादन में बड़ी वृद्धि की योजना बनाई है। 1991 के बाद से तेल की कीमतों में यह सबसे बड़ी गिरावट है। सऊदी अरब ने अप्रैल के लिए अपने कच्चे तेल के सभी ग्रेडों के आधिकारिक विक्रय मूल्यों में 6 से 8 डॉलर प्रति बैरल की कटौती करके तेल कीमत युद्ध को शुरू कर दिया है।
एनर्जी स्टॉक में गिरावट हुई और एसएंडपी 500 का ई-मिनी फ्यूचर्स 4.89 फीसदी गिरा। यूरेस्टॉक्स 50 वायदा 5.9 फीसदी और एफटीएसई वायदा 6.8 फीसदी गिर गया। जापान का निक्केई 5.2 फीसदी और ऑस्ट्रेलिया का कमोडिटी हैवी मार्केट 6.4 फीसदी गिर गया। जापान के बाहर एशिया-प्रशांत शेयरों का सबसे बड़े सूचकांक एमएससीआई (MSCI) में 2015 के बाद सबसे बड़ी 3.9 फीसदी की दैनिक गिरावट हुई, जबकि शंघाई ब्लू चिप्स 2.8 फीसदी गिरा।
एक रणनीतिक उपाय के रूप में 18 मार्च को फेड की ओर से ब्याज दर में 75 बेसिस पॉइंट की कटौती का अनुमान लगाया गया है। जबकि लगभग शून्य ब्याज दर तक कटौती अब अप्रैल तक होने की संभावना है।