राज्य में विकसित होंगी हेली सेवाऐं, देश के पहले हेलीकाप्टर सम्मेलन में हुई चर्चा

0
409
helicopter
CM speaking at helicopter conference

देहरादून में देश के पहले “हेलीकॉप्टर सम्मेलन” का आयोजन किया गया। इस मौके पर राज्य में हेली सेवाओं के योगदान और विस्तार को लेकर चर्चा की गई। सम्मेलन में बोलते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड में हेली सेवाओं के विस्तार की बहुत सम्भावनाएं हैं।औऱ इन्ही संभावनाओं को निरंतर तलाशने के लिये उत्तराखण्ड में हर साल, हेलीकाप्टर सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।  उड़ान योजना में चिन्हित स्थानों के लिए हेली सेवाएं देने पर राज्य सरकार, भारत सरकार से मिलने वाली सब्सिडी के अतिरिक्त सब्सिडी देगी।

इस तरह का हेलीकाप्टर समिट, भारत में पहली बार आयोजित किया गया है। इस सम्मेलन की थीम ‘‘हेलीकाप्टर के माध्यम से कनेक्टीवीटी में विस्तार’’ थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि “उत्तराखण्ड की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए यहां हेली सेवाएं बहुत जरूरी हैं। सीमांत क्षेत्रों तक सड़क मार्ग से जाने में 20 घंटे तक लग जाते हैं जबकि हेलीकाप्टर से मात्र 1ः30 घंटे में पहुंचा जा सकता है। उत्तराखण्ड के दूरस्थ क्षेत्रों की प्राकृतिक सुदंरता का कोई मुकाबला नहीं है। उत्तराखण्ड में धार्मिक पर्यटन के साथ ही खर्चीले पर्यटकों की संख्या में काफी वृद्धि हो रही है। हमारे प्रयासों से पिछले कुछ समय में फिल्म शूटिंग के लिए उत्तराखण्ड पंसदीदा गंतव्य बनता जा रहा है।”

आपदा प्रभावितों को बचाने व राहत पहुंचाने में हेली सेवाएं बहुत ही उपयोगी हैं।  राज्य में हेली एम्बुलेंस की सेवा को भी बढ़ावा देने की खासी संभावनाऐं हैं। दूरस्थ क्षेत्रों में गम्भीर रूप से बीमार लोगों को हायर सेंटर कम समय में पहुंचाने के लिए भी हेली एम्बुलेंस जरूरी है।
फिलहाल हर साल औसतन 2 लाख लोग हेली सेवाएं ले रहे हैं। राज्य में हेलीपेड, 2 एयरपोर्ट व 1 एयरस्ट्रिप है। इसी प्रकार टिहरी में एक वाटर ड्रोम विकसित किया जा रहा है।

  •  ‘‘हेलीकाप्टर के माध्यम से कनेक्टीवीटी में विस्तार’’ थीम पर आधारित था सम्मेलन।
  •  नागरिक उड्डयन मंत्रालय, भारत सरकार, उत्तराखण्ड सरकार व फिक्की के संयुक्त तत्वाधान में हुआ  आयोजन।
  •  मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उत्तराखण्ड में हर साल, सम्मेलन के आयोजन की घोषणा की।
  •  उड़ान योजना में चिन्हित स्थानों के लिए हेली सेवाएं देने पर राज्य सरकार, भारत सरकार से मिलने वाली सब्सिडी के अतिरिक्त सब्सिडी देगी

नागर विमानन मंत्रालय, भारत सरकार के सचिव प्रदीप सिंह खरोला ने कहा “पर्वतीय क्षेत्रों में यातायात का सबसे ज्यादा प्राथमिकता वाला साधन हेलीकाप्टर हो सकते हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में एयरपोर्ट की बजाय हेलीपोर्ट विकसित किए जा सकते हैं। यदि राज्य सरकार भूमि उपलब्ध कराती है तो केंद्र सरकार हेलीपोर्ट विकसित कर सकती है।”

हेलीकाप्टर सेवाओं में सम्भावनाओं की लवाश में चार बातों पर फोकस करना होगा।

  • पर्वतीय क्षेत्रों में हेली सेवाएं बढ़ाने के लिए नियमों में क्या संशोधन करने की आवश्यकता है।
  • एटीएफ टैक्स आदि में छूट सहित अन्य किस प्रकार के प्रोत्साहन दिए जाने की जरूरत है। उड़ान योजना में एटीएफ टैक्स केवल 1 प्रतिशत है।
  • सुरक्षा प्रबंधन और
  • इन्फ्रास्ट्रक्चर

लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी के निदेशक डा. संजीव चोपड़ा ने कहा कि “हेली सेवाओं को एफोर्डेबल बनाने की चुनौति है। अकादमी में तीन हेलीपेड पर व्यावसायिक सेवाएं प्रारम्भ करने की सैद्धांतिक स्वीकृति मिली है।”