देहरादून में साल के 174 पेड़ अवैध रूप से काटे जाने के मामले पर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश

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हाइकोर्ट

हाई कोर्ट ने विकासनगर देहरादून में साल के 174 पेड़ अवैध रूप से काटे जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद प्रमुख वन संरक्षक को मौके का मुआयना कर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए हैं।

कोर्ट ने कहा कि इतने बड़े स्तर पर पेड़ों का अवैध कटान वन व राजस्व विभाग की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है। कोर्ट ने क्षेत्र के जिम्मेदार वन अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने व इस संबंध में की गई कार्यवाही की रिपोर्ट एक जनवरी से पूर्व कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि संबंधित वन और राजस्व अधिकारियों की सक्रिय भागीदारी के बिना इतने बड़े पैमाने पर पेड़ों की अवैध कटाई कैसे की जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि प्रमुख वन संरक्षक द्वारा पेश किए गए शपथ पत्र में यह नहीं बताया गया है कि उनके खिलाफ क्या कार्यवाही की गई है।

मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार याचिकाकर्ता राकेश तोमार की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की ओर से पेड़ों की कटाई के बाद ली गई क्षेत्र की तस्वीरें भी रिकॉर्ड में रखी हैं, और जब पेड़ काटे गए हैं, तब क्षेत्र में पड़े लकड़ी के लठ्ठों को भी देखा जा सकता है।

हाई कोर्ट ने प्रमुख वन संरक्षक, उत्तराखंड को व्यक्तिगत रूप से मामले को देखने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि वे क्षेत्र का निरीक्षण करेंगे और अपना शपथ पत्र दाखिल करेंगे। साथ ही यह भी बताएंगे कि अवैध कटान की अनुमति देने के लिए जिम्मेदार अधिकारी कौन हैं। वे आपराधिक कृत्य करने वाले संबंधित व्यक्तियों/अधिकारियों के खिलाफ उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई करेंगे। साथ ही अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि किसी भी व्यक्ति द्वारा क्षेत्र में पेड़ों की और कटान न किया जाए। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए एक जनवरी की तिथि नियत की है।