क्रिकेट को नहीं पावर लिफ्टिंग को मिला ये खिलाड़ी

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कहते हैं कि किस्मत से ज्यादा औऱ वक्त से पहले कुछ नहीं मिलता। कुछ इसी की मिसाल हैं देहारदून के अंकित मिश्रा। 23 साल के अंकित तीन भाई बहनों में सबसे बड़े हैं। देहरादून में अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद अंकित ने डीएवी काॅलेज से बी काॅम की पढ़ाई की। पढ़ाई के साथ-साथ अंकित की खेलों में भी खासी रुची रही थी औऱ आम युवाओं की तरह ही अंकित भी क्रिकेट में अपना करियर बनाने को सपने देख रहे थे। वो कहते हैं कि, ‘खेलों के प्रति मेरी पहले से ही रुची रही है और मुझे क्रिकेट खेलने का बहुत शौक था। पर क्रिकेट में कुछ खास सफलता नहीं मिल रही थी, इसके बाद मैने जिम में बाॅडी बिल्डिंग शुरू की। इसके लिये मेरे परिवार ने मेरा काफी साथ दिया।’

ankit mishra

19 साल की उम्र में अंकित ने पहली बार ‘नार्थ इंडिया पावर लिफटिंग चैंपियनशिप’ में 66 किलोग्राम वर्ग में हिस्सा लिया और 200 खिलाड़ियों में पांचवा स्थान प्राप्त किया। इसके बाद से ही अंकित ने बाॅडी बिल्डिंग को अपनी मंजिल बना लिया। इस युवा खिलाड़ी के दृड़ संकल्प का उद्धाहरण इसी से मिलता है कि एक एक्सीडेंट के बाद वो करीब एक साल तक बिस्तर पर रहा लेकिन ये हादसा ने अंकित की हिम्मत को नहीं तोड़ा। 2014 में काशीपुर में हुई ‘स्टेट पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप’ में अंकित ने गोल्ड मेडल जीतकर सबको अपनी काबलियत का लोहा मनवा लिया। इसके बाद अंकित की कामयाबी का सिलसिला नहीं रुका। 2015 में 66 किलोग्राम कैटिगरी मेें अंकित को ओवरआॅल चैंपियन घोषित किया गया। और इसी साल जुलाई में राज्य स्तरीय मुकाबले में गोल्ड मेडल जीतकर सीधे नेशनल्स में अपनी जगह पक्की कर ली है।

आज अंकित इंडिया को पावर लिफ्टिंग में ओलंपिक गोल्ड दिलाने के सपने को साकार करने के लिये दिन में तीन से चार घंटे जिम में पसीना बहाते हैं। इसके साथ-साथ देहरादून में 26-27 जुलाई को होने वाली ‘एशिया स्ट्रांग मैन’ की आॅर्गनाईसिंग कमेटी में भी वो सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। टीम न्यूजपोस्ट की तरफ से अंकित को उनके लक्ष्य के लिये शुभकामनाऐं।