(देहरादून) सोशल मीडिया पर अपराध का ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है, इससे भी ज्यादा चिंताजनक यह है कि साइबर अपराधी आए दिन नए-नए तरीके अख्तियार कर लोगों को अपना शिकार बना हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो इसी साल नौकरी और लॉटरी जिताने के नाम पर 55 लोग ठगी का शिकार हो चुके हैं। जबकि एटीएम को आधार कार्ड से जोड़ने के नाम पर 380 लोगों को साइबर ठग अब तक निशाना बना चुके हैं।
सैंकड़ों लोग हो रहे साइबर अपराध का शिकार
मौजूदा समय में सोशल मीडिया आम आदमी के जीवन में दखल दे चुका है और हाल के वर्षों में अभिव्यक्ति का बड़ा माध्यम भी बनकर उभरा है। सोशल मीडिया के इसी बढ़ते दायरे का साइबर अपराधी अब अपने मंसूबों को पूरा करने के लिए इस्तेमाल करने लगे हैं। 14 नवंबर को क्लेमेनटाउन के बिजनेस पार्क में ऐसे ही साइबर अपराधियों के ठिकाने का पता चला था, जहां कॉल सेंटर की आड़ लेकर ठग देश के विभिन्न प्रांतों के बेरोजगारों को एक साल से ठगी का शिकार बना रहे थे। इसके पहले 24 सितम्बर को नेहरू कॉलोनी में भी ऐसे ही एक कॉल सेंटर का एसटीएफ ने पर्दाफाश किया था। यह तो वह कॉल सेंटर और प्लेसमेंट एजेंसियां हैं, जिनका फर्जीवाड़ा पकड़ में आ चुका है। सूत्रों की मानें तो देहरादून में ऐसी कई संस्थाएं हैं जो बेरोजगारों को नौकरी दिलाने का झांसा देकर अपनी जेबें भर रहे हैं। साइबर अपराधियों के निशाने पर सिर्फ बेरोजगार हों, ऐसा नहीं है। आम लोगों से लेकर नौकरीपेशा, कारोबारियों को भी साइबर ठग निशाने बना रहे हैं। एसटीएफ की मानें तो इस साल एटीएम क्लोनिंग से लेकर बैंक खातों को आधार से जोडऩे के नाम पर 380 लोगों को साइबर ठग शिकार बना चुके हैं।
फिर भी सबक नहीं ले रहे लोग
एसटीएफ जहां सोशल मीडिया पर संपर्क में आने वाले लोगों की सत्यता जाने बगैर कोई कदम उठाने से बचने की आए दिन सलाह देती रहती है। आरबीआई किसी से भी बैंक खाते से जुड़ी कोई जानकारी साझा न करने की अपील करता आ रहा है। यही नहीं, आए दिन साइबर ठगी के मामले सुर्खियों में आते रहते हैं, इसके बावजूद लोग ठगों के प्रलोभन में आकर अपनी गोपनीय जानकारियां साझा करते जा रहे हैं। साइबर ठगों का अपने मंसूबे में कामयाब होने का यह एक बड़ा कारण है। मामले में एसएसपी एसटीएफ रिधिम अग्रवाल का कहना है कि साइबर ठगों पर शिकंजा कसने के हरसंभव कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन इस तरह की ठगी का शिकार होने से बचने के लिए जागरुकता अहम है। इसके लिए स्कूल-कॉलेजों के साथ जनसामान्य के बीच जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।