(ऋषिकेश) परमार्थ निकेतन, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार, उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड एवं गढ़वाल मंडल विकास निगम के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 30वें वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में प्रतिभाग करने के लिये योगाचार्य, प्रतिभागी, योग जिज्ञासु एवं योग विद्यार्थी परमार्थ निकेतन में जुटे हैं। विश्व विख्यात कार्यक्रम की मेजबानी परमार्थ निकेतन द्वारा सन 1999 से निरन्तर की जा रही है। इस अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में विश्व के 20 विभिन्न देशों के 90 से अधिक पूज्य संत एवं योगाचार्य सम्मिलित हो रहे हैं। इस बार अन्तर्राष्ट्रीय योग महापर्व में सम्मिलित होने के लिये सम्पूर्ण विश्व के लगभग 90 देशों के 1500 से अधिक लोग हिस्सा ले रहे हैं।
योग की 200 से अधिक कक्षाएं प्रातः 4.00 बजे से रात 9.30 बजे तक सम्पन्न हों रही है। जिसमें प्रमुख रूप से अष्टांग योग, आयंगर योग, विन्यास योग, कुण्डलिनी योग, जीवमुक्ति योग, सिन्तोह योग, सोमैटिक योग, हठ योग, राज योग, भक्ति योग, भरत योग, गंगा योग, लीला योग, डीप योग आदि एक सप्ताह तक प्रस्तुत किये जाने वाले 150 योगों के मुख्य प्रारूप हैं। इसके अतिरिक्त ध्यान, मुद्रा, संस्कृतवाचन, आयुर्वेद, रेकी एवं भारतीय दर्शन की भी कक्षायें सम्पन्न होंगी। देश-विदेश से आये हुये आध्यात्मिक महापुरूषों एवं धर्मगुरूओं द्वारा धार्मिक सवांद, जिज्ञासा सामाधान एवं प्रश्नोतरी का भी विशेष आयोजन इस अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में किया जाएगा।
शुक्रवार शाम अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की पूर्व संध्या पर पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज एवं साध्वी भगवती सरस्वती जी ने योगाचार्यों एवं प्रतिभागियों के साथ मिलकर आज की पावन गंगा आरती में विश्व प्रसिद्ध योग परम्परा के दिग्गज पूज्य बीकेएस आंयगर जिन्होंने विज्ञान और आध्यात्म का समन्वय कर योग की उत्कृष्ट विधा आंयगर योग को जन्म दिया, पूज्य स्वामी दयानन्द सरस्वती जी महाराज जिनका पावन सानिध्य एवं आशीर्वाद प्रतिवर्ष अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव को मिलता रहा है एंव महामण्डलेश्वर पूज्य स्वामी वेद भारती जी महाराज जिन्होने योग एवं ध्यान का वैज्ञानिक स्तर पर समन्वय कर योग के नए आयामों को विकसित किया, को भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की। इस साल अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव को विविध आयामों एवं विशिष्टता के साथ आयोजित किया जा रहा है।