बाजार में बढ़ रही पीतल-कांसे से बने बर्तनों की मांग 

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्लास्टिक से तौबा करने की अपील रंग लाती नजर आ रही है। इसी के साथ प्लास्टिक के दुष्परिणामों को देखते हुए लोगों में स्वास्थ्य को लेकर जागरुकता बढ़ी है। लोग दैनिक दिनचर्या से लेकर खानपान तक के मामले में बहुत ही जागरुक हो गये हैं। लोग खाने पीने से लेकर खाद्य सामग्री की वस्तुओं के प्रयोग में काफी एहतियात बरतने लगे हैं। यही कारण है कि बाजार में आजकल ऐसे धातु के बर्तनों की मांग है जो स्वास्थ्य और सेहत में संतुलन बनाकर रखते हैं। आज तरह-तरह की बीमारियों और स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के प्रति सतर्क होकर लोग खाने-पीने के बर्तनों से भी परहेज कर रहे हैं। एल्युमिनियम, स्टील व प्लास्टिक जैसे धातुओं से बने बर्तनों से कई तरह की समस्याएं आती हैं। जिससे अब लोग स्वास्थ्य के प्रति जागरुक होकर पुराने दौर में लौटते हुए तांबा, कांसा, पीतल और अष्ट धातु जैसे मेटल से बने बर्तनों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। जिसके कारण बाजार में इनकी मांग बढ़ने लगी है।
जानकारी के मुताबिक देशभर में प्लास्टिक क्रांति से हटकर लोग अब तांबा कांसा, पीतल जैसे धातु वाले बर्तनों को अपना रहे हैं। बर्तन व्यवसायी नीरज गुप्ता के मुताबिक दो वर्ष पूर्व तक लोग प्लास्टिक का सामान खरीदने में अधिक रूचि दिखाते थे, किन्तु प्लास्टिक के दुष्परिणामों को लेकर आई जागरूकता के कारण लोगों में अब पीतल, कांसा व तांबे के बर्तनों को खरीदने का क्रेज बढ़ रहा है। इस बार भी धनतेरस  पर इन धातुओं के बर्तनों को खरीदने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है।
पुराने समय के लोग खाना बनाने के लिए पीतल, तांबा और कांसे के बर्तनों का इस्तेमाल करते थे। जिससे वे स्वस्थ रहते थे। आजकल के लोग भी धीरे-धीरे इन्हीं चीजों को अपना रहे हैं। व्यवसायी गुप्ता का मानना है कि तरह-तरह की बीमारियां व स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के चलते अब लोग प्लास्टिक से तौबा करने लगे हैं। तांबा, कांसा पीतल जैसी धातुओं की तरफ लोगों का रुझान बढ़ा है। जिसके कारण इन धातु के बर्तनों की डिमांड एकाएक बढ़ गई है। उन्होंने बताया कि आने वाले समय में प्लास्टिक और एल्युमिनियम का बाजार न के बराबर रह जाएगा। ऐसे में जिस तरह से पुरानी धातुओं की मांग बढ़ रही है उससे बाजार का चेहरा बदलने के आसार हैं।