राष्ट्रीय महिला आयोग के सहयोग से पुलिस लाईन में पुलिस अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए एक दिवसीय लैंगिक संवेदीकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक ने महिला अपराधों की जानकारी देने के साथ ही इन पर लगाम लगाने की जरूरत बताई।
कार्यक्रम में पुलिस महानिदेशक अनिल के रतूड़ी ने बताया की संसार में लगभग 50 प्रतिशत जनसंख्या महिलाओं की है, समाज को व्यवस्थित करने में महिलाओं की अहम भूमिका है। महिलाओं के प्रति हिंसा विकृत मानसिकता से निकलती है। उन्होंने कहा कि समाज में व्यवस्था स्थापित करने में पुलिस की अहम भूमिका है। एक सभ्य समाज में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है, खासकर महिलाओं के प्रति हिंसा के लिए तो बिल्कुल भी नहीं, समाज के इस मूल्य को हमारे कानून में डाला गया है। हमारे संविधान में भी व्यक्ति की गरिमा की बात है, महिला की भी उतनी गरिमा है जितनी पुरुष की।
कानून का पालन परम कर्तव्य
महानिदेशक ने कहा कि बीते कुछ वक्त में हुई घटनाओं व दुर्घटनाओं को देखते हुए कानून में भी विस्तार हुआ है। बलात्कार एवं छेड़छाड़ की धाराओं में विस्तार करते हुए उसमें और प्रभावी बनाया गया है। दहेज से सम्बन्धित जो विकृतियां हैं, उनके सम्बन्ध में कानून बनाया गया है। यह जो सामाजिक विधान हैं, इसमें कानून को लागू करने का दायित्व हमारा है। कोई भी ऐसी घटना है जो महिलाओं से हिंसा, छेड़छाड़ या किसी भी दायरे में है, उसे ठीक करने का रास्ता यही है कि तुरन्त उसका संज्ञान लेकर मुकदमा पंजीकृत करें।
महिलाओं के प्रति संवेदनशील होना जरूरी
डीजीपी रतूड़ी ने कहा कि महिलाओं के प्रति संवेदनशील होना और उन्हे समानता की नजर से देखना। अब धीरे-धीरे पुलिस में इस ओर संवेदनशीलता बढ़ रही है, हमारे पास उपलब्ध 25 हजार फोर्स में से 12 प्रतिशत से अधिक महिला पुलिस अधिकारी व कर्मचारी है। पुलिस फोर्स में महिलाओं के अच्छे अनुपात में जो देश के चार-पांच अग्रणीय राज्य हैं उनमें हमारा स्थान भी है। इससे पुलिस में मानवीय चेहरा आता है। वर्तमान में हमारे 13 जनपदों में से 03 जनपदों की महिला आईपीएस अधिकारी कमान सम्भाले हुए हैं। महिलाओं को थानाध्यक्ष बनाने में भी हम जोर दे रहे है। पिछले वर्ष हमने लगभग एक हजार महिला कर्मियों को कांस्टेबल और 150 को महिला उपनिरीक्षक के रुप में लिया है। महिला सशक्तिकरण की ओर यह बड़ा कदम है।
महिला सुरक्षा सर्वे में कई राज्यों से आगे उत्तराखंड
महिलाओं के सम्बन्ध में स्टेटस आॅफ पुलिसिंग इन इंडिया-2018 के सर्वे में महिला शिकायतकर्ता को अपनी बात पुलिस के पास जाकर विश्वास से कहने में उत्तराखंड राज्य ने प्रथम स्थान पाया है। एनसीआरबी की वर्ष 2016 की रिपोर्ट के अनुसार देश में महिलाओं से सम्बन्धित कुल अपराधो में से मात्र 0.5 प्रतिशत उत्तराखंड में हुए। 29 राज्यों की तुलना में हम महिला अपराध नियन्त्रण में 08 वें स्थान पर हैं। महिलाओं के पुलिस फोर्स में आने से हमे काफी बल मिला है। पुलिस में महिलाओं की भागीदारी बढ़ने से महिलाओं के विरुद्ध जो अपराध होते हैं उसमें निश्चित तौर पर अंकुश लगेगा। उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला से पुलिस कर्मियों को काफी लाभ मिलेगा।
एसिड अटैक के मामलों पर जल्द हो कार्रवाई
कार्यक्रम में सदस्य राष्ट्रीय महिला आयोग आलोक रावत ने विभिन्न राज्यों में किए गए कार्यों के सम्बन्ध में अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने महिला अपराधों में पुलिस की महत्तपूर्ण भूमिका के बारे में बताया गया। महिला से सम्बन्धित अपराधों एवं महिलाओं पर होने वाले एसिड अटैक में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा की यह महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों में सबसे भयानक अपराध है, उन्होंने ऐसे अपराधों की विवेचनाओं का जल्दी निस्तारण करने की अपील की, जिससे पीड़ित को जल्द से जल्द न्याय मिल सके।
महिला अधिकारों की दी जानकारी
कार्यक्रम में राष्ट्रीय महिला आयोग से आए विशेषज्ञों में सरवेश कुमार पाण्डे, कंचन खट्टर, नितीश चन्दन, गीता राठी सिंह ने महिला अधिकारी की जानकारी दी। इस दौरान उन्होंने लिंग सम्बन्ध मुद्दे एवं संवेदीकरण, एनआरआई मुद्दे और महिलाओं से सम्बन्धित अपराधों में एफआईआर का महत्व भी बताया। महिलाओं के विरुद्ध साईबर क्राईम के अपराध एवं निवारण और महिलाओं से सम्बन्धित कानून जैसे घरेलु हिंसा, दहेज निषेध अधिनियम आदि विषयों पर भी जानकारी दी गई। कार्यक्रम में
अपर पुलिस महानिदेशक प्रशासन राम सिंह मीणा, अपर पुलिस महानिदेशक अभिसूचना एवं सुरक्षा वी विनय कुमार, पुलिस महानिरीक्षक अपराध एवं कानून व्यवस्था दीपम सेठ, पुलिस महानिरीक्षक कारागार पीवीके प्रसाद, पुलिस महानिरीक्षक पीएम संजय गुंज्याल, पुलिस महानिरीक्षक पीएसी एपी अनशुमन, पुलिस महानिरीक्षक सीआईडी अनन्त राम चौहन सहित काफी संख्या में विभाग से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी व पुलिस कर्मी मौजूद रहे।