पुलिसकर्मी परिजनों के तथाकथित आंदोलन पर डीजीपी ने की कड़ी कार्रवाई

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    डीजीपी

    पुलिस कर्मचारियों के ग्रेड पे मामले का समुचित समाधान न होने पर पुलिस महानिदेशक ने कड़ी कार्रवाई की है। उत्तराखंड पुलिसकर्मियों के ग्रे पे के मामले में पुलिसकर्मियों के परिजनों के पत्रकार वार्ता करने पर चार सिपाहियों को निलंबित कर दिया गया है। इनमें एक सिपाही चमोली, एक उत्तरकाशी और दो देहरादून में तैनात हैं।

    इस कार्रवाई के विरोध में भी सोमवार को परिजन पुलिस मुख्यालय के बाहर आंदोलन करने के लिए पहुंचे थे, लेकिन बाद में डीजीपी अशोक कुमार के समझाने के बाद लौट गए। कुछ पुलिसकर्मियों के परिजन प्रेस क्लब के पास एक रेस्टोरेंट में इकट्ठा हुए और उन्होंने पत्रकार वार्ता की। उन्होंने सरकार पर वादा खिलाफी का इल्जाम लगाया और आंदोलन की चेतावनी दी थी। इसके बाद से पुलिस विभाग में खलबली मच गई।

    इस संदर्भ में पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कर्मचारी नियमावली के तहत कार्यवाही की है। नियमावली की धारा 5 (2) और 24 (क) में ऐसे प्रावधान हैं। इन धाराओं में व्याख्या है कि कोई पुलिसकर्मी किसी संगठन का हिस्सा नहीं बन सकता है। धारा 24 में बताया गया कि कोई भी सरकारी कर्मचारी सिवाय उचित माध्यम से और ऐसे निर्देशों के अनुसार जिन्हें राज्य सरकार समय-समय पर जारी करे, निजी रूप से या अपने परिवार के किसी सदस्य के माध्यम से सरकार या किसी अन्य प्राधिकारी को कोई आवेदन नहीं करेगा।

    डीजीपी के निर्देश पर चमोली पुलिस लाइन में तैनात सिपाही दिनेश चंद, एससीआरबी देहरादून में तैनात सिपाही हरेंद्र सिंह, देहरादून में ही तैनात मनोज विष्ट और एसडीआरएफ उत्तरकाशी में तैनात कुलदीप भंडारी को निलंबित कर दिया गया है। इसके बाद सभी को चेतावनी भी जारी की गई है।