उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर धामी विधानसभा चुनाव में अपनी जीत की हैट्रिक तो नहीं लगा पाए। उन्हें करीब छह हजार वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा। इस तरह से वे मुख्यमंत्री की हार के रिकॉर्ड को तोड़ नहीं पाए। वर्ष 2012 के चुनाव से प्रदेश के मुख्यमंत्री हारते आ रहे हैं, लेकिन उनके नेतृत्व में भाजपा की सत्ता में जोरदार वापसी हो रही है।
मुख्यमंत्री धामी को उम्मीद थी कि वे इस रिकॉर्ड को तोड़कर बड़ी जीत दर्ज करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। उन्हें कांग्रेस के युवा नेता भुवन कापड़ी ने करीब 6300 वोटों से हराया है। खटीमा से पुष्कर धामी भाजपा के घोषित मुख्यमंत्री के चेहरे थे। मुख्यमंत्री धामी को 41 हजार 500 से ज्यादा वोट मिला है।
कांग्रेस के भुवन कापड़ी ने 48 हजार से कुछ ज्यादा वोट लाकर धामी को हरा दिया। मुख्यमंत्री धामी इस सीट से लगातार दो बार चुनाव जीत चुके थे। उनके पास जीत की हैट्रिक लगाने का इस बार अच्छा अवसर था, लेकिन वे इसमें कामयाब नहीं हो पाए।
इस सीट पर दो युवाओं के बीच टक्कर थी। कांग्रेस के भुवन कापड़ी पार्टी के युवा नेता एवं प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं। उनके प्रचार के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा भी अंतिम दिनों में आईं थीं। भुवन कापड़ी की जीत से कहीं न कहीं प्रियंका वाड्रा को भी राहत मिली होगी।
मतगणना शुरू होने से कुछ समय पहले उन्होंने जीत का दावा किया था। उन्होंने कहा था, ‘मुझे अपनी सीटों पर कोई भ्रम नहीं है। क्योंकि खटीमा में भाजपा कार्यकर्ता और वहां की जनता चुनाव लड़ रही थी। इस बार प्रदेश में भाजपा 60 सीट से ज्यादा जीत रही है। लेकिन उनका दावा सटीक नहीं बैठा‘।
हालांकि भाजपा अब तक 35 सीटों पर जीत दर्ज चुकी है। 12 सीटों पर पार्टी आगे चल रही है। कांग्रेस 15 सीट जीती है और 4 सीटों पर कांग्रेस आगे चल रही है। बसपा एक सीट पर जीत और एक पर आगे है। 2 सीटों पर निर्दलीय बढ़ी बढ़त बनाए हुए हैं।
मुख्यमंत्री की हार के बाद कुछ विधायकों ने उनके लिए सीट छोड़ने की भी इच्छा जताई है। चंपावत से भाजपा के कैलाश गहतोड़ी ने ऐसी इच्छा जता दी है। इन्होंने यहां कांग्रेस के पूर्व विधायक हिमेश खर्कवाल को हराया है। कैलाश गहतोड़ी ने कहा कि मैं मुख्यमंत्री धामी के लिए सीट छोड़ने के लिए तैयार हूं।