मुख्यमंत्री धामी बने ऐतिहासिक बग्वाल मेले के साक्षी

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हर साल रक्षाबंधन पर देवीधुरा स्थित मां वाराही देवी मंदिर परिसर में बग्वाल मेले का आयोजन होता है। इस बार भी आषाढ़ी कौतिक के मौके पर 50 हजार से ज्यादा लोग बग्वाल मेले का गवाह बने। चारों खामों के रणबांकुरों ने 11 मिनट तक फूल, फल से युद्ध किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मां वाराही धाम पहुंचे और पूजा अर्चना की। सीएम धामी देवीधुरा बग्वाल मेले के साक्षी बने।

चंपावत के देवीधुरा के प्रसिद्ध मां वाराही मंदिर में रक्षाबंधन पर बग्वाल खेलने की परंपरा है। पुराने जमाने में यहां नर बलि देने की प्रथा थी जो समय के साथ पत्थर युद्ध में तब्दील हो गई, लेकिन साल 2013 में न्यायालय के आदेश के बाद पत्थरों की जगह फूल और फलों से बग्वाल खेली जाने लगी है। बग्वालीवीरों का मानना है कि वो आसमान में फलों को फेंकते हैं लेकिन वो पत्थरों में तब्दील हो जाते हैं।

गुरुवार को भी पाटी विकास खण्ड के देवीधुरा में मां वाराही धाम के खोलीखांड दुबाचौड़ मैदान में सुबह के समय प्रधान पुजारी ने पूजा अर्चना की। इसके बाद 12 बजकर 40 मिनट से एक-एक कर सभी चारों खामों और 7 थोक के बग्वालियों का आगमन हुआ। सबसे पहले सफेद पगड़ी में वालिक खाम ने मंदिर में प्रवेश किया। इसके बाद 1 बजकर 8 मिनट में गुलाबी पगड़ी पहने चम्याल खाम दाखिल हुए, वहीं 1 बजकर 36 मिनट पर गहड़वाल खाम ने मंदिर में प्रवेश किया आखिर में पीली पगड़ी पहनी लमगड़िया खाम पहुंची।

सभी खामों के प्रवेश के बाद प्रधान पुजारी ने मंदिर से शंखनाद किया जिसके बाद 2 बजकर 05 मिनट पर बग्वाल शुरू हुई। बग्वाल शुरू होते ही मां के जयकारों से पूरा खोलीखाण दुवाचौड़ मैदान गुंजायमान हो गया।

पीठाचार्य पंडित कीर्ति बल्लभ जोशी ने कहा कि यह मेला बग्वाल देखने वालों के लिए भी फलदायी है। इस बार करीब 10 क्विंटल फलों से युद्ध खेली गई। युद्ध में करीब 150 रणबांकुरे मामूली रूप से घायल हुए जिनका इलाज कर घर भेज दिया गया।