तेल पर खेलः डीजल पर उत्पाद कर बढ़ाकर किया गया 13.68 रुपये, वापस किया जा रहा है 3.50 रुपये

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पेट्रोल
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नई दिल्ली। मोदी सरकार के साढ़े चार वर्ष के कार्यकाल में पेट्रोल पर 211 और डीजल पर 443 प्रतिशत उत्पाद शुल्क (एक्साइज ड्यूटी) बढ़ाया गया। फिलहाल जनता से प्रति लीटर पेट्रोल पर 12 रुपये उत्पाद शुल्क लिया जा रहा है। इसमें 22 माह में मात्र दो बार कटौती की गई है। एक बार अक्टूबर 2017 में 2 रुपये और दूसरी बार 4 अक्टूबर 2018 को 1.50 रुपये। इस तरह दो बार कटौती करके 3 रुपये 50 पैसे जनता को तेल के बढ़े दाम से राहत देने के नाम पर वापस किया जा रहा है। इसी तरह केन्द्र सरकार ने डीजल पर साढ़े चार वर्ष में उत्पाद शुल्क 13.68 रुपये बढ़ाया है। इसमें से 22 माह में दो बार कटौती की है। यह करके इसमें से जनता को राहत देने के नाम पर 3 रुपये 50पैसे वापस दे रही है।
इस बारे में वरिष्ठ आर्थिक पत्रकार हेमेन्द्र का कहना है कि केन्द्र सरकार ने पेट्रो पदार्थों पर उत्पाद शुल्क से 2014-15 में 99,184 करोड़ रुपये एकत्रित किया था। अपना खजाना भरा था। उत्पाद शुल्क बढ़ाकर यह कलेक्शन दोगुना से अधिक कर लिया। उत्पाद शुल्क वृद्धि से 2017-18 में में 2,29,019 करोड़ रुपये इस मद में एकत्रित किया। इस तरह से केन्द्र सरकार ने पहले कच्चे तेल का दाम कम होने के बावजूद पेट्रोल व डीजल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाकर कई लाख करोड़ रुपये कमाया है। अब कच्चे तेल का दाम बढ़ने लगा है तो पेट्रोल-डीजल का दाम रोज बढ़ता जा रहा है। ऐसे में उस पर लगने वाले उत्पाद शुल्क में साढ़े तीन रुपये की कमी करके राहत देने का ढिंढोरा पीटा जा रहा है, जबकि इसे पहले ही पेट्रोल पर 12 रुपये और डीजल पर 13.68 रुपये बढ़ाकर खजाना भरा गया है। इसमें कमी तो तब मानी जाएगी जब इसे यह सरकार अपने कार्यकाल में पेट्रोल व डीजल पर बढ़ाई उत्पाद शुल्क खत्म करके, यूपीए सरकार के समय जो उत्पाद शुल्क लग रहे थे उस पर लाये और उसमें कटौती करे। यह नहीं करके, जो किया जा रहा है यह तो जनता से 12 रुपये लेने और उसमें से 3.50 रुपये वापस करके जनता को बहुत राहत देने का ढिंढोरा पीटने और अपनी पीठ थपथपाने वाली बात है। असलियत यह है कि मोदी सरकार ने अपने अब तक के अपने कार्यकाल में कई लाख करोड़ रुपये पेट्रोलियम पदार्थों पर केवल उत्पाद कर बढ़ाकर कमाया है। इसलिए इसे जनता को राहत देने के लिए तेल का दाम कम से कम तीन वर्ष पहले जितना था उतना करना चाहिए।