हाल ही में संपन्न हुए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में उत्तराखंड के लिए अच्छी खबरें आई। उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले की जूही भट्ट को ‘सामाजिक मुद्दे पर सर्वश्रेष्ठ फिल्म’ ‘Veil Done‘ के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाज़ा गया।
30 मिनट की इस डॉक्यूमेंट्री को नई दिल्ली में निज्जामुद्दीन बस्ती के अतिसंवेदनशील क्षेत्र में दस दिनों में शूट किया गया है। शूट के बारे में बात करते हुए, जूही कहती हैं कि, “मैंने अख़बार के एक आर्टिकल से इस आइडिया पर ध्यान दिया और तीन मध्यम आयु वर्ग की मुस्लिम महिलाओं के जीवन पर अपनी डॉक्यूमेंट्री को फिल्माया, जिसमें ये तीनों महिलाएं अपने जीवन में अपनी पसंद, अपने निर्णय और स्वतंत्र विकल्प ढूंढने के लिए किस संघर्ष करती हैं।”
प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए 166 शॉर्ट फिल्मों में से “Veil Done’ को चुना गया। इस साल मार्च की शुरुआत में, “Veil Done’‘ को कराची अंतर्राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में ‘बेस्ट शूट डॉक्यूमेंट्री’ भी घोषित किया गया। इंडो तिब्बती सीमा पुलिस से इंस्पेक्टर जनरल के पद से सेवानिवृत्त जूही के पिता एमसी भट्ट और जूही के भाई जयंत भट्ट जूही को पुरस्कार मिलने के समय उसके साथ थे।
कम उम्र में ही निर्देशन की तरफ़ रुझान ने जूही को दिल्ली के प्रतिष्ठित जातियाँ मालिया इस्लामिया से मास कॉम में डिग्री दिलाई। इसके बाद कुछ समय दिल्ली में काम करने के बाद वो मायानगरी मुंबई चली गई।
मुंबई में रहते हुए, पिछले 9 सालों से जूही ने विज्ञापन दुनिया में काम किया और कई एनजीओ के लिए डॉक्यूमेंट्री / शॉर्ट फिल्मे बनाई। इसके अलावा लाइफस्टाइल शो आदि में काम किया लेकिन उनका पहला प्यार डॉक्यूमेंट्री बनाना था और वह भी महिलाओं और सामाजिक मुद्दों पर।
राष्ट्रीय पुरस्कार मिलने से वो खासी उत्साहित हैं और कहती हैं कि, “मेरी पहली डॉक्यूमेंट्री के लिए यह राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करना मेरे लिए बहुत मायने रखता है। मैं बहुत ही ज्यादा खुश हूं और जब आपका काम राष्ट्रीय मंच पर पहचाना जाए तो यह अलग ही एहसास होता है, इस मंच के माध्यम से मेरी डॉक्यूमेंट्री ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचेगी,और इतने बड़े प्लेटफॉर्म के जरिए यह सब हो रहा कि मैं इससे ज्यादा सोच भी नहीं सकती थी।”
बातचीत के आखिर में जुही कहती हैं कि, “मैं उत्तराखंड में भी उपयुक्त विषयों की तलाश में हूं, क्योंकि मुझे लगता है कि यह क्षेत्र ठीक तरह से प्रदर्शित नहीं किया जा रहा है, और मुझे यकीन है कि वहां कोई ना कोई कहानी होगी जो खोज की प्रतिक्षा में है। ”
गौरतल है कि इस साल राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में उत्तराखंड को “मोस्ट फिल्म फ्रैंडली” स्टेट का इनाम भी मिला है।