लापरवाही बरतने वाले सरकारी कर्मचारियों पर गिरी गाज

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गौरादेवी कन्याधन योजना के गायब आवेदनों के बारे में उत्तराखण्ड सेवा का अधिकार आयोग के मुख्य आयुक्त आलोक कुमार जैन ने निर्णय लिया कि लापरवाही बरतने वाले कर्मी किशन राम, सहायक समाज कल्याण अधिकारी, अल्मोड़ा और आयोग के समक्ष अफवाह और सत्य से हटकर बयान दर्ज कराने वाले कर्मचारी श्री रजनीश पंत, वरिष्ठ सहायक पर विभागीय कार्यवाही की जाए। निदेशक, समाज कल्याण विभाग ने सहायक समाज कल्याण अधिकारी की एक सलाना वेतन वृद्धि स्थायी रूप से रोकने तथा दोनों कर्मचारियों के काम के कारण उन्हें सजा दी गई है।
किसन सिंह कुमैया, निवासी-ग्राम-चांदीखेत, अल्मोड़ा ने उनकी पुत्री कु.मधु कुमैया को गौरा देवी कन्यादेवी योजना के अंतर्गत वर्ष 2013 में आवेदन समय से करने पर भी जिला समाज कल्याण अधिकारी, अल्मोड़ा द्वारा उसे लाभान्वित न किये जाने के कारण आयोग में दिनांक 10 मार्च, 2016 को शिकायती पत्र दाखिल किया गया। इस मामले में 24 मई 2016, 18 अक्टूबर 2016, 28 दिसम्बर 2016 और 06 अप्रैल 2017 को आयोग ने क्रमबद्ध रूप से सुनवायी की, जिस दौरान समाज कल्याण विभाग को अपना पक्ष रखने के लिए पर्याप्त समय दिया गया।हालांकि विभाग के प्रतिनिधि ने विकासखण्ड स्तर पर आवेदन-पत्र को प्राप्त किया गया परंतु यह प्रार्थना-पत्र जिला समाज कल्याण अधिकारी को प्राप्त नहीं होने के कारण आवेदन करने वाले को योजना का लाभ से वंचित रखा गया।इसमें विभाग का बड़ा ही गैर-जिम्मेदाराना रूख रहा जबकि उसके प्रतिनिधि को आवेदन समय से प्राप्त हो गया था। अतः यह उत्तराखण्ड सेवा का अधिकार अधिनियम, 2011 के अंतर्गत निर्धारित समय की सीमा का खुला उल्लंघन था।इस पूरे मामले पर विभाग ने अपनी गलतियों को छुपाने की और तत्कालीन सहायक समाज कल्याण अधिकारी को मृत बताकर मामले को रफादफा करने का प्रयास भी किया। गहरी छानबीन और जांच के बाद विभाग से हुई लीपापोती एवं आयोग को गुमराह किये जाने के प्रयासों का पर्दाफाश हुआ।
मुख्य आयुक्त ने चार सुनवाईयों के दौरान इस प्रकरण पर यह ऐतिहासिक निर्णय पारित किया कि इस प्रकरण से संबंधित छात्रा और उसकी साथी छात्राओं के आवेदन-पत्र, जो विभागीय गलतियों एवं गतिविधियों के कारण गायब/खो गये है, उन्हें विभागीय कर्मचारी एक बार फिर सम्पर्क कर तैयार करायें और इसका बोझ आवेदकों पर न डाला जाये।
हालांकि प्रकरण मात्र एक आवेदन कर्ता से सम्बंधित था परंतु मुख्य आयुक्त के गंभीर प्रयासों एवं मामले की तह तक जाने के कारण आवेदिका सहित 17 अन्य छात्राओं, जिनके आवेदन-पत्र विभाग ने गायब/खो दिये थे, के आवेदन-पत्रों को पुनः तैयार कराकर उन्हें गौरादेवी कन्याधन योजना का लाभ प्राप्त कराया गया। यह प्रकरण समाज कल्याण विभाग के लिए अपने-आप में गंभीर विषय की तरह एक उदाहरण के रूप में उभरा है।