(हरिद्वार)। उत्तराखंड में खनन कारोबार से ही राज्य में सबसे ज्यादा राजस्व आता है। लेकिन क्या ये संभव है कि जिले का कोई खनन अधिकारी बिना किसी सपोर्ट के किसी ठेकेदार को लगभग एक करोड़ रुपये का राजस्व वापस कर दे। ये बात सुनने में जितनी अजीब है उतनी ही चौंकाने वाली भी है।
मामला हरिद्वार जिले का है, जहां से सरकार को लगभग 1 करोड़ की चपत लगी है। ये बात शायद सामने ही नहीं आती अगर सचिवालय से खनन विभाग किसी दूसरे सचिव के पास न जाता। इस मामले में खनन निदेशक दीपेंद्र चौधरी से बात की गई तो उन्होंने भी इस बात की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि इस मामले में बड़ी लापरवाही सामने आयी है, जिसमें देखा गया है कि जो राजस्व सरकार को आना था वो अब तक लिया ही नहीं गया। उन्होंने कहा कि ठेकेदार को फायदा पहुंचने के लिए सरकारी अधिकारी ने पूरी कोशिश की है।
बताया जा रहा है कि करीब 1 करोड़ की धरोहर राशि को नियम विरुद्ध हरिद्वार के खनन अधिकारी दिनेश कुमार ने ठेकेदार को वापस कर दिया। हैरानी की बात तो ये है कि मामले की जानकारी पूर्व खनन निदेशक को भी दी गयी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
बता दें कि हरिद्वार के भगवानपुर में ई-टेंडर के जरिये खनन लॉट का आवंटन हुआ था, जिसे टेंडर मिलने के बाद भी कंपनी ने नहीं लिया। इसके बाद फिर से सरकार ने टेंडर खोला, लेकिन इस बार भी एचटू नाम की कंपनी ने इस मामले में अपना रुख साफ नहीं किया। ऐसे में जो फीस टेंडर की रखी गयी थी वो सरकारी खजाने में जब्त हो गई, लेकिन खनन अधिकारी दिनेश ने तुरंत इन पैसों को ठेकेदार को वापस कर दिया। अधिकारी कुछ और कार्रवाई करते इससे पहले ठेकदार विदेश चला गया। अब सरकारी महकमा इस फंदे में फंस गया है कि पैसे वसूले कैसे जाएं। पूर्व खनन निदेशक विनय शंकर पांडेय ने इस मामले में कोई कार्रवाई न होने को लेकर सवाल खड़े किए हैं। खनन निदेशक दीपेंद्र चौधरी ने बताया कि पहले डायरेक्टर ने इसको लेकर स्पष्टीकरण मांगा था। हरिद्वार के खनन अधिकारी का स्पष्टीकरण आ गया है। इसके बाद निर्देश दे दिये गए हैं कि फाइल निकाली जाए। अगर अधिकारी ने कोई गड़बड़ी की है और जब्त राशि को डायरेक्टर के मना करने के बाद भी रिलीज किया है तो इसकी रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी और मामले में जल्द कार्रवाई होगी।