केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी खाद्य सुरक्षा योजना के राशन कार्डों में भी फर्जीवाड़ा नजर आ रहा है। सरकार राशन की दुकानों को आधार से लिंक करने और पीओएस मशीनों से जोड़ने की तैयारी कर रही है। वहीं आपूर्ति विभाग ने फर्जीवाड़ा छिपाने के लिए एपीएल और खाद्य सुरक्षा योजना के राशन कार्डों में ‘चुपचाप’ छंटनी का काम शुरू कर दिया है।
हालांकि, विभाग इसे सत्यापन अभियान बता रहा है, लेकिन सूत्रों की मानें तो ये सभी फर्जी राशन कार्ड हैं। विभाग आधार प्रक्रिया लागू होने से पहले उन कार्डों को हटा देना चाहता है, जो फर्जी तरीके से बनाए गए हैं। जिले में खाद्य सुरक्षा योजना के तहत आपूर्ति विभाग ने करीब दो लाख राशन कार्ड बना रखे हैं। जिन पर पिछले दो साल से हर माह प्रति यूनिट पांच किलो गेहूं-चावल आवंटित किया जा रहा है। अब सरकार ने योजना को आधार लिंक करने का निर्णय लिया है। यह कार्य तो अंतिम चरण में चल रहा है। साथ ही अब जल्द ही राशन की दुकानें पीओएस मशीनों से भी जुड़ने जा रही हैं। यानी साफ है कि ये व्यवस्था लागू होने के बाद अधिकारियों की ओर से बनाए गए फर्जी राशन कार्डों से पर्दा उठ जाएगा। लेकिन, विभाग को अभी से ये डर सताने लगा है। इसलिए अधिकारियों ने चुपचाप खाद्य सुरक्षा योजना के कार्डों में छंटनी शुरू कर दी है।
सूत्रों की मानें तो विभिन्न क्षेत्रों से करीब 25 हजार राशन कार्डों को योजना से बाहर किया जा रहा है। अब रहा सवाल यह कि जिन कार्डों को विभाग अब हटा रहा है, उन पर पिछले दो साल से राशन आवंटित हुआ तो उसे किसने लिया और अधिकारी ने इन आधी-अधूरी औपचारिकताओं पर राशन कार्ड क्यों बनाए? दरअसल, विभाग की चुपचाप की छंटनी का उद्देश्य ही अपने अधिकारियों की लापरवाही को छिपाना है। उत्तरांखंड सरकारी सस्ता गल्ला विक्रेता परिषद के अध्यक्ष जितेंद्र गुप्ता का कहना है कि विभाग ने कई डीलरों के यहां से खाद्य सुरक्षा योजना के राशन कार्ड काट दिए हैं। यदि वे कार्ड फर्जी थे तो विभाग उन अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई कर रहा है, जिन्होंने इन कार्डों को बनाया था? वहीं जिला आपूर्ति अधिकारी विपिन कुमार का कहना है कि आधार लिंक का काम पूरा हो गया है। अब विभाग उन कार्डों का सत्यापन कर रहा है, जिनके आधार गलत चढ़ गए हैं।