दून के मशहूर पलटन बाज़ार को नया रूप देने की तैयारी

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(देहरादून) स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर का मशहूर पलटन बाजार अब एक नए रुप में दिखेगा। आने वाले महीनों में पलटन बाजार में कुछ खास बदलाव आने वाले हैं।

सभी बदलावों में से एक खास बदलाव होगा पलटन की दुकानों में लगने वालो साइनबोर्ड में। मसूरी देहरादून डेवेलेपमेंट ऑथॉरिटी के मुताबिक अभी साइनबोर्ड के डिजाईन आने में थोड़ा समय है इसलिए यह बदलाव अभी तक हुआ नहीं हैं लेकिन जल्द ही यह बदलाव देखने को मिलेगा।

एमडीडीए के एक ऑफिसर ने हमें बताया कि “इसपर काम शुरु हो गया है और हम साइनबोर्ड के डिजाईन फाइनल कर रहे हैं। इस योजना को पूरी तरह से जमीनी स्तर पर आने में अभी भी लगभग 8 महीने का समय लग सकता है। फिलहाल अब अतिक्रमण को लेकर देहरादून म्यूसिपल कॉर्पोरेशन कार्यवाही कर रहा है। आने वाले समय में हमारे द्वारा कोई भी योजना तभी सफल होगी जब पलटन अतिक्रमण मुक्त होगा। अभी देहरादून म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन के काम में एमडीडीए कोई रुकावट नहीं डालना चाहता एक समय पर एक डिर्पाटमेंट का काम करना ज्यादा बेहतर हैं। हालांकि हमारे डिजाईन आने वाले दो-तीन महीनें में  फाइनल हो जाऐंगे।”

हालांकि पलटन बाजार में जिनकी दुकानें है वह इस बात को लेकर परेशान हैं कि क्या वह पुराने साइनबोर्ड लगाए या फिर नए साइनबोर्ड का इंतजार करें या बिना साइनबोर्ड के दुकान चलाएं।

पलटन बाजार के एक दुकानदार ने हमें बताया कि, हमें अपनी दुकानों के लिए नए साइनबोर्ड लाने में कोई परेशानी नहीं है। हम बस एक डिजाईन फाइनल होने का इंतजार कर रहे हैं। एक साइनबोर्ड बनाने में लगभग 5 हजार का खर्च आता है इसलिए हम बार-बार साइनबोर्ड नहीं बनवा सकते। मेरे हिसाब से अभी भी डिजाईन आने में तीन महीने का समय है तब तक हमने पुराने साइनबोर्ड लगाकर दुकान चलाने की विनती की है। हमें उम्मीद है कि प्रशासन हमें इसकी मंजूरी देगा।

पलटन बाजार के दुकानदार सरकार के इस फैसले में उनका साथ दे रहे कि पलटन बाजार को एक नया लुक मिले। पलटन के दुकानदारों का मानना है कि कोई भी हम कोई भी बदलाव करने को तैयार है बस हमें व्यापार में नुकसान ना हो।हालांकि अभी भी वह र्स्माट सिटी की योजना को ठीक तरह से समझ नहीं पाए हैं।

पंकज मासून, दून वैली महानगर उद्योग व्यापार मंडल के अध्यक्ष ने कहा कि “दुकानदारों को नए साइनबोर्ड अपनी जेब से खर्च कर बनावाना होगा। अगर सरकार उनकी कुछ जमीनें लेकर स्मार्ट सिटी बनाने में इस्तेमाल करने वाली है तो उन्हें इसका मुआवजा मिलना चाहिए। हमारा सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि सरकार की इन गतिविधियों की वजह से हमें बिजनेस में कोई नुकसान नहीं होना चाहिए।हम चाहते हैं कि आने वाले समय में एक मीटिंग करें जिससे सभी स्टेकहोल्डरों को इसके बारे मे बेहतर जानकारी हो सके।”

बहरहाल साइन बोर्ड लगाने से ज़रूर दून के इस पुराने और मशहूर बाज़ार के लुक में बदलाव आ सकता है। लेकिन असल सवाल ये है कि जगह की तंगी और बेतरतीब भीड़ से रोज़ाना दो चार होने वाले इस बाज़ार को असल मायने में स्मार्ट बनाने के लिये सरकार ने क्या तरीके निकाले हैं।