देहरादून के अभिलाष प्रकाश सेमवाल इन दिनों खासा चर्चा में हैं, वजह है उनके द्वारा बनाया हुआ बम डिटेक्टर डिवाइस। जी हां, पिछले कई सालों से अपने अलग-अलग डिस्कवरी से अभिलाष ने हर किसी का मन मोह लिया है।
इस वक्त अभिलाष का बनाया बम डिटेक्टर डिवाइस नाइजिरीया के लिया एक वरदान साबित हो रहा है। इस डिवाइस की मदद से नाइजीरिया में अब तक एक दर्जन से अधिक बमों को फटने से पहले ही पकड़ा गया। इसके चलते कई लोगों की जान बचाने का दावा नाइजीरिया सरकार ने किया। बमों को ट्रैक करने की डिवाइस बनाने पर रविवार को हरियाणा में एंटी करप्शन फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने अभिलाष को ग्लोबल आइकन यूथ अवार्ड से सम्मानित किया। खास बात यह थी कि अभिलाष ने पुरस्कार में मिली एक लाख रुपये की राशि को पुलवामा हमले में शहीद हुए जांबाजों के परिजनों की सहायता के लिए दान कर दिया। 27 साल के अभिलाष ने अब तक बहुत से डिवाइस और एप बनाए हैं, उन्हें 15 से ज्यादा राष्ट्रीय पुरस्कार,2 अंर्तराष्ट्रीय और राज्य स्तर के बहुत से पुरस्कार मिल चुके हैं।
चमोली जिले के निवासी अभिलाष देहरादून स्थित ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी में एमटेक (कंप्यूटर साइंस) के फाइनल इयर के छात्र हैं। अभिलाष से हुई बातचीत में उन्होंने हमे बताया कि यह डिवाइस उन्होंने साल 2014 में ही बना दी थी लेकिन कुछ ऐरर पर काम करने के बाद अब यह डिवाइस इस्तेमाल की जा रही है।इस डिवाइस की खास बात यह है कि यह बॉम के मैगेनेटिक फिल्ड को पकड़ता है जिसकी वजह से इसकी लोकेशन पहले ही ट्रैक हो जाती है जो बॉम डिटेक्ट करने में मददगार है।
अभिलाष बताते हैं कि, दो साल पहले दिल्ली में आयोजित ऑल इंडिया अचीवर्स कांन्फ्रेंस में नाइजीरिया के रक्षा मंत्रालय के एक अफसर से उनकी मुलाकात हुई। तब नाइजीरिया में आतंकी गतिविधियों का जिक्र उन्होंने बातचीत में किया था। वह बताते हैं कि पिछले साल उन्होंने आठ डिवाइस नाइजीरिया सरकार को निश्शुल्क उपलब्ध कराई थी। अभिलाष का दावा है कि नाइजीरिया सरकार ने उन्हें बताया कि इस अवधि में उनकी डिवाइस ने एक दर्जन से अधिक बमों को फटने से पहले ही खोज निकाला गया, जिस पर वहां की सरकार ने उनका आभार भी व्यक्त किया।
अभिलाष ने बताया कि जब सदानंद दाते उत्तराखंड में एसएसपी थे अभिलाष ने नो ड्रग्स उत्तराखंड नाम से एक एंड्रॉइड एप भी बनाया था। इस एप की मदद से आसपास होने वाले ड्रग्स एक्टिविटी का पता चलता है और पुलिस पहले से ही ऐसे क्षेत्रों में मुस्तैद रहती है।
ऐसे ही अभिलाष ने एक एंटी ड्राइविंग सेफ्टी बैंड भी बनाया है जिसे पहनकर ना केवल ड्राइवर बल्कि गाड़ी में बैठने वाला भी सुरक्षित रहता है।इस बैंड की खास बात यह है कि यह बैंड ड्राइवर की कलाई पर बंधा रहता है और मालिक के फोन से कनेक्ट हो सकता है।ऐसे में अगर ड्राइवर को गाड़ी चलाते हुए नींद आती है तो इस बैंड से झटका लगता है जिससे ड्राइवर के साथ मालिक को भी पता चलता है कि ड्राइवर को नींद आ रही, साथ ही अगर ड्राइवर शराब पीकर गाड़ी में बैठता है तो यह भी मालिक को पता चल जाता है, इसके अलावा ड्राइवर के स्वास्थ का बी यह बैंड पूरा ख्याल रखता है।इस बैंड को पहनने वाले का ब्लड प्रेशर भी इस बैंड से पता चल सकता है। अभिलाष ने बताया कि इस साल मार्च आखिरी या अप्रैल तक यह बांड लॉंच कर दिया जाएगा।
इतना ही नही महिलाओं की सुरक्षा के लिए भी अभिलाष ने एक वुमेन सेफ्टी लॉकेट बनाया है।इस लॉकेट को या आप हाथ में पहने या गले में यह दोनो सूरतों में काम करता है।इस लॉकेट में पांच नंबर सेव होंगे और परेशानी में आने पर लॉकेट पहनने वाले लड़की अगर लॉकेट को कुछ सेकेंड के लिए भी टच करती है तो लड़की के घर वालों को उसकी खबर मिल जाएगी चाहें वह नेटवर्क में हो या नहीं।
अभिलाष की इन सारी खोजों में उन्हें उत्तराखंड सरकार से काफी मदद मिली है। अभिलाष कहते हैं कि, “मैंने इसपर काम साल 2014 से शुरु कर दिया ता।इसमें मुझे तब के मुख्यमंत्री हरीश रावत जी से बहुत सर्पोट मिला था।”
इसके साथ-साथ अभिलाष अलग-अलग आइडिया पर काम करते रहते हैं और कुछ अलग हटकर एप और डिवाइस मार्केट में लाते रहते हैं।