देहरादून। केंद्रीय विद्यालय-1 हाथीबड़कला देहरादून में 10 वें “शैलेन्द्र सम्मान” की घोषणा की गई। निर्णायक समिति के सदस्य और बॉलीवुड के चर्चित गीतकार डॉ. सागर( जिन्होंने अनारकली ऑफ आरा, दास देव, वाह ताज आदि फिल्मों के गीत लिखे हैं) ने घोषणा की कि 10वां “शैलेन्द्र सम्मान” जाने माने गीतकार डॉ. इरशाद कामिल को शैलेन्द्र जी 95 वीं जयंती 30 अगस्त 2018 को देहरादून में दिया जाएगा।
डॉ. इरशाद कामिल ने जब वी मेट, लव आजकल, रांझणा, चमेली, सुल्तान और टाइगर ज़िंदा है आदि फिल्मों में बेहतरीन गीत लिखे हैं । डॉ. सागर ने कहा कि डॉ. इरशाद कामिल अपने गीतों के माध्यम से शैलेन्द्र और साहिर की परंपरा को आगे बढ़ा रहे है।इरशाद कामिल के गीत स्तरीयता और लोकप्रियता के जीवंत दस्तावेज हैं । कथाकार जितेन ठाकुर ने कहा कि शैलेन्द्र ने न केवल सुरुचिपूर्ण अर्थपूर्ण गीत लिखे बल्कि “तीसरी कसम” जैसी कालजयी क्लासिक फ़िल्म बनाकर साहित्यिक कहानियों पर फ़िल्म निर्माण की स्वस्थ परंपरा का शुभारंभ किया। कथाकार सुभाष पंत ने कहा कि प्रेमचन्द कहानियों के जादूगर थे उसी तरह शैलेन्द्र गीतों के जादूगर थे। कार्यक्रम अध्यक्ष पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी ने कहा कि शैलेन्द्र के फिल्मी गीत किसी मायने में श्रेष्ठ कविता से कम नहीं है। धुनों पर गीत लिखना मुश्किल काम है। शैलेन्द्र ने इस मुश्किल काम को आसान किया। शैलेन्द्र के गीतों में लोक रंग शिद्दत के साथ मौजूद हैं ।शैलेन्द्र के गीत दूसरे गीतकारों के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं । शैलेन्द्र मेमोरियल ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ इन्द्रजीत सिंह ने कहा कि डॉ इरशाद कामिल के गीतों में शैलेन्द्र के गीतों की तरह आग और राग के रंग मौजूद हैं । इरशाद कामिल ने इश्क़ और इंकलाब के बेहतरीन गीत रचकर सामाजिक सरोकारों का परिचय दिया हैं । जहां इरशाद कामिल ने “तुम जो आये ज़िन्दगी में बात बन गईं ,इश्क़ मज़हब इश्क़ मेरी जात बन गईं जैसा उदात्त प्रेम गीत लिखा वहीं साड्डा हक़ एथे रख जैसा इंक़लाबी लिखकर कवि धर्म का निर्वाह भी किया हैं । मनीष शाह ने शैलेन्द्र के गीत किसी की मुस्कराहटों पे हो निस्सार तथा इरशाद कामिल के गीत नादां परिंदे घर आ जा “प्रस्तुत किये। इस अवसर पर साहित्यकार प्रेम साहिल, प्रतिभा कटियार,रंजीता सिंह फ़िल्म निर्माता पूरा राम, फ़िल्म निर्देशक कमल नारायण पटेल,रश्मी भटनागर, प्रवीण कुमार, रक्षक, माया चौरसिया आदि उपस्थित थे।