कालागढ़/पौड़ी, कर्नाटक से कालागढ़ लाए हाथियों में से मादा हाथी कंचम्भा के शावक ने अपने जीवन के तीसरे माह में कदम रख लिया है। इससे कालागढ़ वन विभाग में खुशी की लहर है। दो साल पहले कर्नाटक से नौ हाथी कालागढ़ गश्त व पर्यटन के लिए लाये गए थे। इनकी देखरेख व रहने के लिए एक विशाल हाथी कैम्प का निर्माण भी किया गया था।
गौरतलब है कि दो साल के बाद हथिनी कंचम्भा के गर्भवती होने से वन विभाग की जिम्मेदारी और बढ़ गयी व वन कर्मचारियों ने इसकी देखरेख और बढ़ा दी। गर्भकाल पूरा करने के बाद कंचम्भा ने सितम्बर माह में एक नर हाथी को जन्म दिया। इसके पालन-पोषण में कालागढ़ वन विभाग ने दिन-रात एक कर दिया। इस नवजात हाथी का नाम वन विभाग के उच्चाधिकारियों ने शम्भू रखा।
वन विभाग कालागढ़ की यह मेहनत रंग लाई और अब शम्भू ने अपने जीवनकाल के तीन महीना पूरा कर लिया है। तीन महीने बाद शम्भू बेहद तंदरुस्त व नटखट है और अपने झुंड के साथ अक्सर रेत व जंगल में मस्ती करता मिलता है।
उप प्रभागीय वनाधिकारी आरके तिवारी ने बताया कि जन्म के समय शम्भू का वजन एक कुंतल दो किलो था। अब तीन महीने बाद इसका वजन एक कुंतल 48 किलो है। यह नटखट हाथी स्वस्थ है। समय-समय पर इसका परीक्षण कराया जा रहा है। साथ ही यह नन्हा हाथी लोगों के आकर्षण का केंद्र भी बना हुआ है।