फूलों की घाटी के मुख्य पड़ाव घांघरिया में सन्नाटा

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घांघरिया
हेमकुंड साहिब-लोकपाल और विश्व धरोहर फूलों की घाटी के मुख्य पड़ाव घांघरिया में इनदिनों वीरानी छायी हुई है। कोरोना की दूसरी लहर में पर्यटन कारोबार पूरी तरह चौपट है। गोविन्दघाट से  घांघरिया तक का 14 कि.मी. वीरान है।
सिखों के पवित्रधाम हेमकुंड साहिब और हिंदुओं के पवित्र तीर्थ लक्ष्मण मंदिर के कपाट 25 मई को खोले जाते रहे हैं। फूलों की घाटी को भी  1 जून से पर्यटकों के लिए  खोल दिया जाता रहा है। मगर इस बार ऐसा नहीं हो सका। पहले अक्टूबर तक इलाका गुलजार रहता रहा है।
हेमकुंड साहिब के कपाट 10 अक्टूबर को बंद करने परंपरा रही है। श्रद्धालुओं की बढती संख्या व स्थानीय लोगों के स्वरोजगार के अवसर बढ़ाने की मंशा से हेमकुंड साहिब मैनेजमेन्ट ट्रस्ट ने वर्ष 2012 से  कपाट 25 मई को खोलने  शुरू किए थे। गत वर्ष कोरोना काल के बाद 4 सितम्बर को हेमकुंड साहिब के कपाट खोले गए थे और 10 अक्टूबर का बन्द हुए थे। 8500 श्रद्धालु हेमकुंड साहिब पंहुचे थे।
हेमकुड साहिब मैनेजमेन्ट ट्र्र्रस्ट को भी यात्रा को लेकर सरकार की गाइड लाइन की प्रतीक्षा है। ट्रस्ट के मुख्य प्रबन्धक सेवा सिंह कहते हैं कि चारों धामो की यात्रा शुरू होने पर ही हेमकुंड साहिब की यात्रा  शुरू कराएंगे। विगत वर्ष 15 अगस्त को फूलों की घाटी पर्यटकों के लिए खोली गई थी।  945 पर्यटक घाटी का दीदार कर सके थे।  2019 मे 17 हजार 450 पर्यटकों ने फूलों की घाटी की सैर की थी।
पर्यटन कारोबारी दिनेश झिक्वांण, विजेन्द्र चैाहान,, संजय चैाहान,प्रताप चैाहान, रघुबीर सिंह, जगदीश चाौहान आदि कहते हैं कि वर्ष 2013 की भीषण आपदा से उबरे ही थे कि कोरोना से कारोबार चौपट कर दिया।  गोविन्दघाट से घांघरिया तक सैकड़ों छोटे-बड़े कारोबारी चार महीने के सीजन से ही वर्षभर की आजीविका संचालित करते थे।  भ्यूंडार वैली के ग्रामाीणों को उम्मीद है कि कोरोना की रफ्तार थमेगी और रौनक अवश्य लौटेगी।