देहरादून, आज के दिन में, जब बूढ़े और जवान एक जैसी सोच रख रहें हैं कि पर्यावरण में सकारात्मक बदलाव लाना है और उसके बारे में भावुक होते हैं, तो हम आपके साथ एक युवा और उनकी टीम ‘इवॉल्व’, की कहानी साझा करते हैं, जो एक उज्जवल, बेहतर भविष्य की आशा करते हैं।
कुछ साल पहले शुरू हुए, ’इवॉल्व’ ने देहरादून के विकासनगर के पास, ताउली, भूर्ड में रहने वाले 44 परिवारों के जीवन को छू लिया है। यहाँ की महिलाएं और पुरुष जैविक बीजों से कागज, पेंसिल, ग्रीटिंग कार्ड, विजिटिंग कार्ड, डायरियों, जैसे चीजें बनाकर बहुतों को रोज़गार दे रहें हैं, खासकर वहां जहाँ इसकी सबसे अधिक जरुरत है। इस प्रोडक्ट की सबसे खास बात यह है कि जब इसके उपयोग खत्म हो जाता है, तो यह स्टेशनरी का सामान गमले और फूलों की क्यारियों में लगाए जाएं सकते हैं, जो कुछ ही दिनों में एक पौधे में बदल जाते हैं। यह एक बहुत ही अलग आइडिया है जिससे बीज से बनाए गए कागज का रियूज किया जा सकता है।
‘इवॉल्व’ के पीछे अभिनव हमें इसके बारें में और अधिक बताते हैं, “प्लांट-एबल स्टेशनरी न केवल स्टेशनरी उत्पादों (पेंसिल, पेपर, डायरी, शुभकामनाएं, आदि) से पौधों को उगाने के लिए एक अनूठा विचार है, बल्कि लोगों को पौधे और पोषण के लिए बढ़ावा देने के लिए भी बेहतरीन पहल है। ग्रामीण इन सभी उत्पादों को बनाते हैं जो बदले में रोजगार तो देता ही है साथ में एक बेहतर सामाजिक आर्थिक मानक बन जाता है। ”
‘इस्तेमाल किए-उत्पादों को एक नया जीवन देना ‘इवॉल्व’ का मूलमंत्र है। अपने स्टेशनरी को टमाटर, गेंदे या यहां तक कि हरी मिर्च के पौधे में देखना युवा-दिमागों के लिए कुछ अलग है, जो पर्यावरण के लिए जरुरी है।इस अवधारणा को समझना और फिर से उपयोग करना आने वाली पीढ़ी के लिए बेहद जरुरी है,” अभिनव का मानना हैं।
इवोल्व कस्टमाइज्ड प्रोडक्ट भी बनाता है: कंपनियों के लिए उत्पाद; स्कूलों के लिए अलग-अलग इवेंट पर प्रोडक्ट बनाना; उपहार; सुवीनेर या छोटे-छोटे गिफ्ट बनाना जो रचनात्मक, स्टाइलिश होने के साथ-साथ किसी फूल,सब्जी या जड़ी-बूटी में बदल जाएगी।
अगली बार जब आप अपने आप को किसी को देने के लिए कोई उपहार तलाश करते हुए पाते हैं, तो क्यों ना कुछ ऐसा लेने के बारे में सोचे जिससे पर्यावरण भी विकसित हो। आप भी एक ऐसी क्रांति का हिस्सा बनें जो कल को एक बेहतर और उज्जवल भविष्य बनाने का संकल्प लेती है।
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