किसान घाट पहुंचने के बाद किसान आंदोलन थमा, अपनी मांगों के लिये लड़ाई जारी रखेंगे किसान

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(नई दिल्ली) मंगलवार देऱ रात दिल्ली कूच किया हजारों किसानों ने किसान घाट पहुंच कर अपना आंदेलन वापस करने का फैसला किया। बुधवार सुबह से किसान वापस जाना शुरू कर देंगे। मंगलवार देर शाम को प्रशासन ने दिल्ली बॉर्डर कुछ समय के लिये खोले और किसानों को किसान घाट तक जाने की इज़ाजत दे दी। इसके बाद फिलहाल किसानों ने अपना मार्च और ांदोलन रोकने का फैसला किया।

वहीं इस बार की गांधी जयन्ती किसानों के नाम रही। हरिद्वार के किसान घाट से दिल्ली के राजघाट स्थित किसान घाट के लिए निकले किसानों ने दिल्ली की सीमा पर डेरा डाल दिया। वे सरकार के आश्वासन के बावजूद वापस घरों को जाने के लिए तैयार नहीं थे। हालांकि केंद्र सरकार ने कहा है कि किसानों की अधिकांश मांगे मान लीं गई हैं। पर दिल्ली-उत्तर प्रदेश की गाजीपुर सीमा पर जमें किसानों में भारी आक्रोश रहा। हालांकि कुछ मात्रा में किसान वापस हो गए हैं पर बड़ी संख्या में डेरा डाले रहे। तनाव को देखते हुए गाजियाबाद जिला प्रशासन ने बुधवार (3 अक्टूबर) को स्कूल-कॉलेज बंद रखने का निर्देश दिया है।

केन्द्र सरकार की ओर से किसान आंदोलनकारियों से बातचीत में मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत का कहना है कि आंदोलनरत किसानों की अधिकांश मांगे मान ली गई हैं। भारतीय किसान यूनियन के नेता चौधरी राकेश टिकैट के नेतृत्व में आए किसानों के प्रतिनिधिमंडल ने आश्वासन दिया था कि वे धरना खत्म कर देंगे और घरों को वापस चले जाएंगे। इसके लिए शेखावत खुद गाजीपुर जाकर किसानों के बीच घोषणा करते आए थे। पर किसान सारी मांगें मानने के बाद ही धरना खत्म की बात कह रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले हजारों किसानों ने 23 सितम्बर को किसान क्रांति यात्रा के तहत हरिद्वार के किसान घाट से दिल्ली के लिए कूच किया था। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार गांधी जयन्ती (2 अक्टूबर) को इन्हें दिल्ली पहुंचना था। इससे पहले 1 अक्टूबर की रात से ही दिल्ली- उत्तर प्रदेश की सीमाएं सील कर दी गईं थीं। 2 अक्टूबर की सुबह हालात ऐसे थे कि लोग का सामान्य जनजीवन ठप पड़ गया। उधर ट्रैक्टर-ट्राली, ट्रकों और बसों में सवार 30 हजार से ज्यादा की संख्या में किसान दिल्ली-उत्तर प्रदेश की सीमा पर बने यूपी गेट पर जमा हो गए।

सुबह करीब 11 बजे दिल्ली की सीमा में जबरन प्रवेश करने की कोशिश कर रहे हजारों किसानों को रोकने के लिए अद्धसैनिक बलों को हल्का बल भी प्रयोग करना पड़ा। किसानों पर पहले वाटर कैनन के जरिए पानी का बौछार की गई, फिर आंसू गैस के गोले छोड़े गए। एक किसान ने अपना ट्रैक्टर लोहे की मजबूत बेरिकेटिंग पर चढ़ा दिया, जिसके बाद भीड़ उग्र हो गई थी। हांलाकि रबर की गोली चलाने की भी अफवाह फैली, लेकिन पुलिस अधिकारियों ने समय रहते स्थिति पर नियंत्रण पा लिया। हांलाकि पुलिस दल पर पथराव भी किया गया। दिल्ली पुलिस ने कहा कि उसकी ओर से न्यूनतम बल प्रयोग किया गया। इस झड़प में कुछ किसानों सहित समेत सात पुलिसकर्मी घायल हो गए।

पुलिस ने कार्रवाई का ब्यौरा देते हुए बताया कि 20 राउंड आंसू गैस के गोले छोड़े गए। करीब 15 मिनट तक वाटर केनन इस्तेमाल किया गया। आंदोलनकारी किसानों को नियंत्रित करने के लिए तीन हजार पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई।क्या है कल की तैयारी

उधर, किसानों के सीमा पर ही डटे रहने के कारण सीमा पर अतिरिक्त फोर्स की तैनाती की जा रही है। जितनी तैनाती थी, उससे और ज्यादा पुलिसबल तैनात किया गया है। जानकारी के अनुसार अगर हालात काबू नहीं हुए और किसान सीमा से नहीं हटे तो देर रात 20 अतिरिक्त कंपनी पुलिस बल की और तैनाती की जाएगी।

अर्धसैनिक बल के जवान भी तैनात

किसानों को उग्र होता देख मौके पर अर्धसैनिक बलों के जवानों की भी तैनाती कर दी गई है। सीमावर्ती इलाकों में अर्धसैनिक बलों के जवानों की करीब आठ कंपनी अतिरिक्त फोर्स की तैनाती की गई है। इलाके के स्पेशल कमिश्नर लॉ एंड ऑर्डर रेंज के ज्वाइंट कमिश्नर और डीसीपी के साथ खुद मौके पर नजर रखे हुए हैं।

उत्तर प्रदेश-दिल्ली सीमा पर किसानों के प्रदर्शन के बीच दिल्ली में सत्ता के गलियारे में दिन भर गहमा गहमी रही। किसानों नेताओं से बातचीत के लिए पहले से तैयार केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के यहां किसानों का प्रतिनिधिमंडल ले जाया गया । वहां बातचीत और कुछ मांगें मान लेने और कुछ पर आश्वासन पाने के बाद किसान नेता केन्द्रीय कृषि राज्यमंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत और उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री सुरेश राणा के साथ समझौते की घोषणा करने धरना स्थल पर गए। वहां शेखावत ने कहा कि आपकी अधिकतर मांगे स्वीकार कर ली गई हैं। उस समय ऐसा लगा कि किसान नेता आंदोलन खत्म करने पर राजी हो गए हैं।

लेकिन देर शाम होते तक साफ हो गया कि किसान आंदोलन खत्म करने पर राजी नहीं हैं। सीमा पर जमे अधिकांश किसानों का कहना है कि उनके शांतिपूर्ण मार्च को उनके नेता चौधरी चरण सिंह के समाधि स्थल किसान घाट तक जाने से क्यों रोका गया। अब वे ट्रैक्टर ट्राली समेत राजघाट तक जाकर रहेंगे। इसके साथ ही वे अपनी सभी मांगें मानने का लिखित आश्वासन मिलने के बाद ही विरोध प्रदर्शन समाप्त करेंगे। किसान नेताओं का कहना है कि उन्हें सरकार के आश्वासनों पर भरोसा नहीं है।

इस बीच, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल भी किसान आंदोलन को समर्थन देने के लिए आगे आ गए हैं। साफ है कि किसानों के आंदोलन और केन्द्र सरकार के प्रति उनकी नाराजगी का अब राजनीतिक लाभ उठाने की होड़ लग गई है। ऐसे में घरना-प्रदर्शन लंबा खिंच जाने की आशंका बन गई है। हांलाकि केन्द्र सरकार की कोशिश है कि देर रात तक घरना खत्म हो जाए ताकि सुबह होने तक सीमा पर सामान्य आवागमन हो सके। सरकार की चिंता यह है कि 2 अक्टूबर को अवकाश के चलते सीमा पर स्थिति को नियंत्रण करना आसान था। कल सुबह तक स्थिति सामान्य नहीं हुई तो लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।